सोलर हमाम

  • 28 Dec 2021

स्थानीय रूप से डिजाइन किया गया सोलर-वॉटर हीटिंग सिस्टम 'सोलर हमाम' (solar hamam) हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में ग्रामीणों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इसका उद्देश्य ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में घरों को गर्म पानी की सुविधा के लिए स्वच्छ ऊर्जा समाधान प्रदान करना और वनों का संरक्षण करना है।

(Image Source: https://www.thehindu.com/)

  • इन पहाड़ी इलाकों में परिवार ईंधन, चारा, पोषण, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार और आजीविका के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 85% ग्रामीण परिवार पारंपरिक बायोमास ईंधन पर निर्भर हैं।
  • हिमालयी क्षेत्र में, 2,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर पूरे वर्ष ठंडी रहती है, जिससे परिवारों को एक दिन में 16-17 घंटे तक विभिन्न गतिविधियों के लिए ऊर्जा के स्रोत के रूप में लकड़ी की आग पर निर्भर रहना पड़ता है। एकत्र की गई लकड़ी का 50% से अधिक पानी और रहने की जगहों को गर्म करने में उपयोग किया जाता है, जिससे वनों का क्षरण होता है।
  • वर्ष 2004 में इस हीटिंग सिस्टम का डिजाइन शुरू किया गया। 2008 में, एक कारीगर-निर्मित प्रोटोटाइप ‘सोलर हमाम’ विकसित किया गया, जिसका मूल्यांकन ग्रामीण घरों में प्रदर्शन, सुरक्षा और रखरखाव के लिए किया गया था।
  • सोलर हमाम एक एंटी-फ्रीजिंग आउटलेट (anti-freezing outlet) है, जो सुबह 30-35 मिनट की पहली सौर रोशनी के भीतर 90 डिग्री सेल्सियस के अधिकतम तापमान पर 15-18 लीटर गर्म पानी प्रदान करता है। गर्म पानी के लगातार बैच 15-20 मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होते हैं।
  • सोलर हमाम ने 2016-17 के लिए 'हिमाचल प्रदेश स्टेट इनोवेशन अवॉर्ड' जीता था।