जीसैट 7बी उपग्रह

  • 08 Apr 2022

रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने नाइट साइट (छवि गहनता), 4X4 हल्के वाहन, और वायु रक्षा अग्नि नियंत्रण रडार (प्रकाश) जैसे उपकरण सहित 'जीसैट 7बी उपग्रह' (GSAT 7B) उपग्रह की खरीद के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AoN) दी है।

जीसैट 7 शृंखला के उपग्रह: जीसैट 7 उपग्रह रक्षा सेवाओं की संचार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित उन्नत उपग्रह हैं।

  • जीसैट 7 उपग्रह को अगस्त 2013 में फ्रेंच गयाना के कौरू से 'एरियन 5 ईसीए' (Ariane 5 ECA) रॉकेट से लॉन्च किया गया था।
  • 2,650 किलोग्राम का यह उपग्रह मुख्य रूप से भारतीय नौसेना द्वारा अपनी संचार जरूरतों के लिए उपयोग किया जाता है।
  • जीसैट 7 सैन्य संचार जरूरतों के लिए सेवाओं की एक शृंखला प्रदान करता है, जिसमें मल्टी-बैंड संचार सहित कम बिट वॉयस रेट से लेकर हाई बिट रेट डेटा सुविधाएं शामिल हैं।
  • जीसैट 7 को रुक्मिणी नाम दिया गया है। यह नौसेना के भूमि प्रतिष्ठानों, सतह के जहाजों, पनडुब्बियों और विमानों के बीच एक सुरक्षित, रियलटाइम संचार संपर्क रखने में मदद करता है।
  • उपग्रह को 249 किमी. पेरिगी (पृथ्वी के निकटतम बिंदु), 35,929 किमी. अपोजी (पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु) तथा भूमध्य रेखा के संबंध में 3.5 डिग्री के झुकाव के भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में अंतः स्थापित किया गया था।
  • वर्तमान में भारत के पास केवल दो समर्पित सैन्य उपग्रह हैं- जीसैट-7 (रुक्मिणी) और जीसैट-7ए (एंग्री बर्ड), जो कि क्रमशः भारतीय नौसेना एवं वायु सेना द्वारा उपयोग किये जाते हैं।

जीसैट 7बी: यह मुख्य रूप से सेना की संचार जरूरतों को पूरा करेगा और सीमावर्ती क्षेत्रों में सेना को निगरानी बढ़ाने में भी मदद करेगा।

  • वर्तमान में, भारतीय सेना जीसैट 7ए उपग्रह की संचार क्षमताओं का 30 प्रतिशत उपयोग कर रही है, जिसे भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए डिजाइन किया गया है।