रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर सिपरी की रिपोर्ट

  • 31 Oct 2022

अक्टूबर 2022 में स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार आत्मनिर्भर हथियार उत्पादन क्षमताओं में भारत 12 इंडो-पैसिफिक देशों में चौथे स्थान पर है।

  • रिपोर्ट का शीर्षक: 'इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में हथियार-उत्पादन क्षमताएं : आत्मनिर्भरता को मापना' (Arms-production Capabilities in the Indo-Pacific Region : Measuring Self-reliance)
  • सम्मिलित देश: इस अध्ययन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के ऐसे 12 देशों को शामिल किया गया है जो सैन्य गतिविधियों पर सर्वाधिक खर्च करते हैं। इन देशों में- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, सिंगापुर, ताइवान, थाईलैंड और वियतनाम के नाम शामिल हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्ष

  • प्रथम तीन देश: इस सूची में चीन शीर्ष पर है, जापान दूसरे स्थान पर है तथा दक्षिण कोरिया को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है। वहीं पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।
    • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2016 से 2020 के मध्य चीन दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार आयातक देश था।
  • भारत: सूची में भारत को हथियार उत्पादन क्षमता में चौथा स्थान मिला है।
    • वर्ष 2016 से 2020 के मध्य भारत को हथियारों के दूसरे सबसे बड़े आयातक के रूप में पहचान मिली है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत पूरी तरह से विदेशी हथियारों के आयात पर निर्भर है तथा 2016-20 में भारत की कुल खरीद में से 84 प्रतिशत भाग विदेशी मूल का था। इस प्रकार, घरेलू हथियार कंपनियां इसकी कुल खरीद का केवल 16% ही मुहैया कराती हैं।
  • पाकिस्तान: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हथियार उत्पादन आत्मनिर्भरता में पाकिस्तान 8वें स्थान पर है।

भारत की प्रमुख हथियार निर्माता एवं आपूर्तिकर्ता कंपनियां

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Ltd),
  • इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज (Indian Ordnance Factories),
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics),
  • मझगांव डॉक्स (Mazagaon Docks) और
  • कोचीन शिपयार्ड (Cochin Shipyard)।
  • भारतीय सेना को ट्रकों की आपूर्ति करने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में से एक अशोक लीलैंड, इंडो-पैसिफिक में शीर्ष 50 में स्थान पाने वाली एकमात्र कंपनी है।

रिपोर्ट का महत्व

  • भारत को क्षमता आकलन में सहायता: यह रिपोर्ट मुख्य रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समुद्र तटीय देशों के अध्ययन पर आधारित है। वर्तमान में यह क्षेत्र अपने आर्थिक एवं भू-सामरिक महत्व के लिए अंतरराष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बिंदु बना हुआ है। भारत अपनी क्षमताओं का आकलन करके हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि कर सकता है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का महत्व: रिपोर्ट में यह पाया गया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपनी हथियार निर्माण क्षमता में वृद्धि की जा रही है। इस क्षेत्र में स्थित 18 हथियार निर्माण कंपनियों को वर्ष 2020 में दुनिया की सबसे बड़ी हथियार कंपनियों में स्थान प्रदान किया गया था।
  • वैश्विक निर्यातकर्ता: रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख निर्यातक देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं रूस जैसे देशों के नाम शामिल हैं। इसका अर्थ यह है कि आने वाले कुछ समय तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अधिकांश देशों को अपने रक्षा उपकरणों की आपूर्ति हेतु इन देशों को निर्भर रहना होगा।