वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक-2022

  • 01 Nov 2022

17 अक्टूबर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme-UNDP) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative-OPHI) द्वारा तैयार किए गए वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Global Multidimensional Poverty Index-MPI) को जारी किया गया।

  • सूचकांक के अनुसार विश्व भर में लगभग 1.2 अरब लोग बहुआयामी गरीबी से पीड़ित हैं।
  • गरीब लोगों की संख्या सबसे अधिक उप सहारा अफ्रीका (579 मिलियन) में है, इसके पश्चात दक्षिण एशिया (385 मिलियन) का स्थान है। इन दोनों क्षेत्रों में कुल मिलाकर विश्व के लगभग 83% गरीब लोग निवास करते हैं।

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक के संदर्भ में

  • सूचकांक को वैश्विक स्तर पर व्यापक महत्व प्राप्त है क्योंकि इसके द्वारा 100 से अधिक विकासशील देशों में बहुआयामी गरीबी का मापन किया जाता है।
  • इस सूचकांक को सर्वप्रथम वर्ष 2010 में ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय द्वारा जारी किया गया था।
  • आयाम एवं संकेतक: सूचकांक का मापन निम्नलिखित तीन आयामों तथा 10 संकेतकों के आधार पर किया जाता है। इन आयामों एवं संकेतकों का उपयोग करके व्यक्तियों के अभाव की स्थिति को मापा जाता है।
    • स्वास्थ्य (बाल मृत्यु दर, पोषण),
    • शिक्षा (स्कूली शिक्षा के वर्ष, नामांकन),
    • जीवन स्तर (आवास, जल, स्वच्छता, बिजली, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति)।

भारत के संदर्भ में महत्वपूर्ण निष्कर्ष

  • दुनिया में सबसे ज्यादा गरीब भारत में: वर्ष 2020 के जनसंख्या के आंकड़ों को आधार बनाकर तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व में बहुआयामी गरीबी से पीड़ित सर्वाधिक लोग भारत (228.9 मिलियन) में हैं तथा इसके बाद नाइजीरिया (2020 में अनुमानित 96.7 मिलियन) का स्थान है।
    • भारत में लगभग 4.2 प्रतिशत आबादी चरम गरीबी (Extreme Poverty) के अंतर्गत आती है।
  • आयु वर्ग के अनुसार: भारत के सभी आयु वर्गों में वयस्कों की तुलना में बच्चों में अधिक गरीबी पाई जाती है।
    • देश में 5 में से लगभग 1 बच्चा (कुल 21.8 प्रतिशत बच्चे) गरीब है। दूसरी ओर, वयस्क जनसंख्या में यह अनुपात 7 व्यक्तियों में 1 (कुल 13.9 प्रतिशत) है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में करीब 9.7 करोड़ गरीब बच्चे हैं।
  • ग्रामीण तथा शहरी गरीबी: सूचकांक में यह पाया गया है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 21.2% लोग गरीब हैं जो कि शहरी क्षेत्रों (5.5%) की तुलना में अधिक है।
    • देश में कुल गरीबों में से लगभग 90 प्रतिशत गरीब, ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
    • संख्या के हिसाब से भारत में पाए जाने वाले लगभग 229 मिलियन गरीब लोगों में से 205 मिलियन लोग ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित हैं।
  • महिला प्रधान परिवारों में गरीबी अधिक: वर्तमान सूचकांक के अनुसार देश में पुरुष प्रधान परिवारों (15.9%) की तुलना में महिला प्रधान परिवारों में रहने वाले लगभग 19.7% लोग गरीबी में रहते हैं।
  • राज्यवार स्थिति: वर्ष 2015-16 में बिहार सर्वाधिक गरीब राज्य था तथा वर्तमान में इसके बहुआयामी गरीबी सूचकांक मूल्य में निरपेक्ष रूप से सर्वाधिक कमी देखी गई है।
    • वर्ष 2015-2016 में 10 सर्वाधिक गरीब राज्यों में से केवल पश्चिम बंगाल ही वर्ष 2019-21 की सूची से बाहर निकलने में सफल रहा है।
    • वर्तमान सूची के अनुसार भारत के सर्वाधिक गरीब राज्यों में- बिहार, झारखंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नाम देखने को मिल रहे हैं।
  • सापेक्षिक रूप से गरीबी में सर्वाधिक कमी प्रदर्शित करने वाले राज्यों में क्रमशः गोवा, जम्मू कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान के नाम शामिल हैं।