मृदा कार्बन पृथक्करण के जरिये जलवायु परिवर्तन का न्यूनीकरण

  • 14 Nov 2022

हाल ही में, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (International Crops Research Institute for The Semi-Arid Tropics - ICRISAT) ने एक मॉडलिंग अध्ययन प्रकाशित किया है। इस मॉडलिंग अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को कम करने में मृदा कार्बन पृथक्करण (Soil Carbon Sequestration) मदद कर सकता है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • इस मॉडलिंग अध्ययन में पाया गया कि उर्वरक, बायोचार (biochar) और सिंचाई का सही संयोजन मृदा कार्बन पृथक्करण (Soil Carbon Sequestration) को 300 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है|
  • शोधकर्ताओं ने उर्वरकों के इष्टतम उपयोग से कार्बन में वृद्धि के साथ साथ उत्पादन में 30 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • मॉडलिंग अध्ययन के तहत महाराष्ट्र के पांच जिलों (जालना, धुले, अहमदनगर, अमरावती और यवतमाल) और ओडिशा के आठ जिलों (अंगुल, बोलांगीर, देवगढ़, ढेंकेनाल, कालाहांडी, केंदुझार, नुआपाड़ा और सुंदेगढ़) को शामिल किया गया था।
  • दोनों राज्यों में मुख्य रूप से अर्ध-शुष्क जलवायु है जिसमें 600 मिलीमीटर और 1,100 मिमी के बीच वार्षिक वर्षा होती है।
  • इन क्षेत्र में कपास, ज्वार, सोयाबीन, चना, अरहर और बाजरा जैसी महत्वपूर्ण फसलों का अध्ययन किया गया।

महत्व

  • संपूर्ण खाद्य प्रणाली द्वारा लगभग एक तिहाई ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) का उत्सर्जन होता है। इस मॉडलिंग अध्ययन के आधार पर कृषि क्षेत्र जलवायु संकट के विरुद्ध लड़ाई में सकारात्मक योगदान दे सकता है|
  • इस कृषि मॉडलिंग अध्ययन के आधार पर वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ने (capture) और इसे मिट्टी में संग्रहीत (storing) किया जा सकता है।
  • इससे कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रमुख कारकों के स्थान पर एक समाधान बनाया जा सकता है।
  • मृदा में कार्बन सीक्वेस्टिंग (sequencing) किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान कर सकती है।
  • यह सतत विकास लक्ष्य 13 (एसडीजी 13: जलवायु कार्रवाई) के लक्ष्य के अनुरूप है जो जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करता है।