भारत का पहला निजी प्रक्षेपण यान : विक्रम-एस

  • 23 Nov 2022

18 नवंबर, 2022 को श्रीहरिकोटा स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के स्पेसपोर्ट से स्काईरूट एरोस्पेस (Skyroot Aerospace) के विक्रम-एस (Vikram-S) यान ने अपनी पहली उड़ान भरी|

  • स्काईरूट एयरोस्पेस के इस पहले मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है।
  • विक्रम-एस की कुल मिशन अवधि 300 सेकंड थी एवं अपने मिशन को पूरा करने के बाद इसने बंगाल की खाड़ी में स्पलैशडाउन (splashdown) किया।

मुख्य बिंदु

  • विशेषता: विक्रम-एस प्रमोचन यान की लंबाई 6 मीटर है तथा यह एक एकल-चरण ठोस ईंधन उप-कक्षीय रॉकेट (Single-Stage Solid Fuelled Sub-Orbital Rocket) है|
    • इस प्रमोचन वाहन का लिफ्ट ऑफ मास 545 किलोग्राम था| स्काईरूट एरोस्पेस कंपनी द्वारा विक्रम लॉन्च वाहन श्रृंखला के अन्य उपग्रहों, विक्रम II और विक्रम III, का विकास किया जा रहा हैं।
    • रॉकेट में ध्वनि की गति से 5 गुना अधिक गति यानी 5 मैक तक पहुंचने की क्षमता है| यह 83 किग्रा. (183 पाउंड) के पेलोड को 100 किमी. (62 मील) की ऊंचाई तक ले जाने की क्षमता रखता है।
    • स्काईरूट एयरोस्पेस 526 करोड़ रुपए के साथ भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र की सबसे बड़ी वित्त पोषित निजी कंपनी बन गई है।
  • प्रमोचन: इस प्रमोचन के माध्यम से तीन उपग्रह लांच किये गए| इसमें चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप स्पेसकिड्ज़ (SpaceKidz), आंध्र प्रदेश स्थित एन-स्पेसटेक (N-SpaceTech) के उपग्रह शामिल हैं|
    • एक अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत, आर्मेनिया के बाज़ूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब (BazoomQ Space Research Lab) के उपग्रह को भी प्रमोचित किया गया है।

भारत में निजी क्षेत्र द्वारा किये जा रहे अन्य प्रयास

  • एक अन्य कंपनी अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos) ने अपने सेमी-क्रायोजेनिक इंजन (Semi-Cryogenic Engine) का हाल ही में परीक्षण किया है।
    • अग्निकुल कॉसमॉस आईआईटी मद्रास द्वारा इनक्यूबेटेड एक ‘स्पेस टेक स्टार्ट-अप’ है, जो वर्तमान में अग्निबाण (Agnibaan) नामक छोटे लॉन्च वाहन को भी विकसित कर रही है|
    • अग्निबाण को इस प्रकार विकसित किया जा रहा है कि यह 100 किलोग्राम पेलोड को 700 किमी. की कक्षा में स्थापित कर सके।
  • इसी प्रकार पिक्सल (Pixxel), एक अन्य स्टार्टअप है जो भविष्य में अंतरिक्ष में एक उपग्रह समूह (constellation of satellites) स्थापित करने पर काम कर रहा है| इसके माध्यम से मौसम की निगरानी और भविष्यवाणी की जा सकेगी।

इन-स्पेस (IN-SPACe)

  • इन-स्पेस (IN-SPACe) भारतीय अंतरिक्ष अवसंरचना का उपयोग करने हेतु निजी क्षेत्र की कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराएगा।
  • इस निकाय के गठन का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी आवश्यक गतिविधियों जैसे- अनुसंधान एवं विकास, ग्रहों के अन्वेषण तथा अंतरिक्ष के रणनीतिक उपयोग आदि पर ध्यान केंद्रित कर सके और अन्य सहायक कार्यों को निजी क्षेत्र को हस्तांतरित कर दिया जाए।
  • यह इसरो और कॉरपोरेट क्षेत्र के बीच सहयोग के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में काम करेगा और देश के अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग करने और अंतरिक्ष-आधारित गतिविधि का विस्तार करने का सबसे प्रभावी तरीका निर्धारित करेगा।
  • इसके अतिरिक्त यह निकाय छात्रों और शोधकर्त्ताओं आदि को भारत की अंतरिक्ष परिसंपत्तियों तक अधिक पहुंच प्रदान करेगा, जिससे भारत के अंतरिक्ष संसाधनों और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।