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भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम
"भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम" के सम्बंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह उन लोगों पर लागू होता है जिनके खिलाफ 10 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के मामलों के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है।
- केवल अपराधी द्वारा सीधे स्वामित्व वाली संपत्ति जब्त की जाती है।
- किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने से वर्जित कर दिया जाता है।
उपरोक्त कथन में से कौन सा सही है/
A |
केवल 3
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B |
केवल 2 और 3
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C |
केवल 1 और 3
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D |
1, 2 और 3
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Explanation :
भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA), जो 25 जुलाई, 2018 को लागू हुआ, जिसके तहत अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ 100 करोड़ रुपये या अधिक के आर्थिक अपराधों में शामिल होने पर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो। वह व्यक्ति मुकदमे से बचने के लिए देश छोड़कर फरार हो गया हो और वापस लौटने से मना कर रहा हो तो उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी माना जाता है।
इस नए कानून के तहत प्राधिकृत विशेष अदालत को किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी बेनामी तथा अन्य संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होगा। यह कानून कहता है। इसलिए, 1 और 2 दोनों कथन गलत हैं।
अधिनियम की प्रमुख आलोचना:
अधिनियम की एक बड़ी आलोचना यह है कि यह प्रमुख 'प्राकृतिक न्याय (Natural justice)' के खिलाफ है यानी किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की अनुमति नहीं है। इसलिए कथन 3 सही है।
प्रश्न का उद्देश्य:
हाल ही में, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEOA) के तहत एक विशेष अदालत द्वारा शराब कारोबारी विजय माल्या को पहला भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। अतः आर्थिक परिदृश्यों से इसकी महत्ता को देखते हुए हमने इसके विस्तृत स्वरूप की ओर छात्रों का ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया है।
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