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केंद्रीय सूचना आयोग
केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- केंद्रीय सूचना आयोग का गठन सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत किया गया है।
- नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत मुकदमा चलाने के दौरान CIC के पास दीवानी न्यायालय की शक्ति होती है।
- CIC का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है।
उपरोक्त में से कौन सा कथन गलत है?
A |
केवल 1 और 2
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B |
केवल 3
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C |
केवल 2 और 3
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D |
उपरोक्त में से कोई नहीं
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Explanation :
केंद्रीय सूचना आयोग का गठन, सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 के अनुक्रम में सरकार द्वारा एक आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से किया गया था। आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त और दस से अधिक सूचना आयुक्त नहीं हो सकते हैं। राष्ट्रपति द्वारा इनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता वाली समिति की सिफारिश पर की जाती है।
- मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें मुख्य चुनाव आयुक्त के समान होती हैं।
- आरटीआई अधिनियम के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि CIC का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा, साथ ही नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत मुकदमा चलाने के दौरान CIC के पास दीवानी न्यायालय की शक्ति होगी।
प्रश्न का उद्देश्य:
हाल ही में मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव की नियुक्ति के साथ ही, केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) में 4 नए सूचना आयुक्तों को भी नियुक्त किया गया है, जिससे इनकी कुल संख्या सात हो गई है। अतः समसामयिकी के दृष्टिकोण से इसकी महत्ता को देखते हुए हमने छात्रों का ध्यान इसके विस्तृत स्वरूप की ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया है।
स्रोत: cic.gov.inसामयिक खबरें
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