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सामुदायिक वन संसाधन अधिकार
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों (Community Forest Resource rights) को ‘अनुसूचित जाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम’ की धारा 3(1)(i) के तहत मान्यता प्राप्त है। इस क़ानून को आमतौर पर ‘वन अधिकार अधिनियम’ या ‘एफआरए’ के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- यह कानून सामुदायिक वन संसाधनों को “संरक्षित, पुनर्जीवित या संरक्षित या प्रबंधित” करने के अधिकार की मान्यता प्रदान करता है।
- ये अधिकार, समुदाय को स्वयं और दूसरों के द्वारा वन उपयोग के लिए नियम बनाने की अनुमति देते हैं और इस तरह ‘वन अधिकार अधिनियम’ (FRA) की धारा 5 के तहत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं?
A |
केवल 1 और 2
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B |
केवल 2
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C |
केवल 2 और 3
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D |
1, 2 और 3
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Your Ans is
Right ans is D
Explanation :
- छत्तीसगढ़, एक राष्ट्रीय उद्यान के भीतर किसी गांव के ‘सामुदायिक वन संसाधन’ (Community Forest Resource – CFR) अधिकारों को मान्यता देने वाला देश का दूसरा राज्य बन गया है।
- हाल ही में, बस्तर जिले के ‘कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान’ के भीतर एक गांव ‘गुड़ियापदर’ (Gudiyapadar) में रहने वाले आदिवासियों को, वन उपयोग के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान करते हुए ‘सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों’ (CFR rights) अधिकारों को मान्यता दी गई है।
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम या FRA के रूप में संदर्भित), 2006 की धारा 3 (1)(आई) के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार सामुदायिक वन संसाधनों को "संरक्षण, पुन: उत्पन्न या संरक्षित या प्रबंधित" करने के अधिकार की मान्यता प्रदान करते हैं।
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