- होम
- सामयिक
- समसामयिकी प्रश्न
- अवमूल्यित मुद्रा
अवमूल्यित मुद्रा
हाल ही में, भारतीय रूपये का मूल्य ह्रास उस स्तर तक हुआ, जो कि नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय बन गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर अवमूल्यित मुद्रा का संभावित प्रभाव निम्नलिखित में से क्या हो सकता है?
- भारतीय वाणिज्यिक कंपनियां जो बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के लिए गई हैं उन्हें उच्च सेवा लागत का सामना करना पड़ेगा।
- इससे भारतीय अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी हो सकती है।
- चीन जैसे देशों में हमारे निर्यात में काफी (tremendously) वृद्धि होगी।
नीचे दिए गए कूट से सही कथन का चयन करें:
A |
केवल I और II
|
|
B |
केवल II और III
|
|
C |
I, II, III
|
|
D |
I केवल
|
Explanation :
यदि कोई मुद्रा अवमूल्यित होती है, तो इसका अर्थ है कि निर्यात अधिक प्रतिस्पर्धी और आयात अधिक महंगा हो जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था कच्चे तेल का आयात करती है, इसलिए, अवमूल्यित मुद्रा से कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होती है और इसकी वजह से इस पर निर्भर चीजों जैसे: सामानों और परिवहन इत्यादि की कीमतों में भी वृद्धि होगी। इसलिए, यह अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी का कारण बन जाएगा। जब भारतीय मुद्रा में गिरावट आई तो अन्य देशों की मुद्रा में भी गिरावट आई, जैसे: चीन की रेनमिन्बी में भी गिरावट आई है। इसलिए, चीन जैसे देशों में हमारे निर्यात का हमें कोई लाभ नहीं है, अतः कथन-III गलत तथा कथन-II सही हैं। मान लें, कि ईसीबी एक भारतीय कंपनी द्वारा यूएस से किया गया था जब विनिमय दर 1$ = 60 रुपये थी और ऋण राशि 100$ थी। इसलिए, कंपनी के लिए देय राशि 6000 रुपये थी, लेकिन यदि मुद्रा अवमूल्यित हो जाती है और विनिमय दर 1$ = 70 रुपये हो जाये, तो देय राशि 7000 रुपये हो जाती है। जिस कारण अवमूल्यित मुद्रा से उधारकर्ता पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। अतः कथन -1 भी सही है।
स्रोत: द हिंदू
सामयिक खबरें
- राजनीति और प्रशासन
- अवसंरचना
- आंतरिक सुरक्षा
- आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
- कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
- कार्यकारी और न्यायपालिका
- कार्यक्रम और योजनाएँ
- कृषि
- गरीबी और भूख
- जैवविविधता संरक्षण
- पर्यावरण
- पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
- पारदर्शिता और जवाबदेही
- बैंकिंग व वित्त
- भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
- भारतीय अर्थव्यवस्था
- रक्षा और सुरक्षा
- राजव्यवस्था और शासन
- राजव्यवस्था और शासन
- रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- शिक्षा
- सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
- सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
- स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे