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सांसद निधि
हाल ही में, केन्द्रीय सूचना आयोग ने अव्ययित (unspent) सांसद निधि के सम्बंध में चिंता व्यक्त की है। सांसद निधि के सम्बंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- यह वित्त मंत्रालय के अधीन है लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी समग्र रूप से निगरानी की जाती है।
- लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सांसदों को आवंटित धन को वे अपने सम्बंधित राज्य में खर्च कर सकते हैं।
- राज्य सभा के सांसद अपनी सांसद निधि को देश के किसी भी हिस्से में खर्च कर सकते हैं।
नीचे दिए गए कूट से सही कथन का चयन करें:
A |
I, II, III
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B |
केवल II और III
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C |
केवल II
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D |
इनमें से कोई नहीं
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Explanation :
सांसद निधि योजना दिसंबर, 1993 में लॉन्च की गई थी। यह संसद सदस्यों के लिए एक तंत्र प्रदान करता है ताकि स्थायी समुदायिक संपत्तियों के निर्माण के लिए विकासशील कार्यों की सिफारिश की जा सके और स्थानीय स्तर पर आवश्यकताओं के आधार पर आधारभूत सामुदायिक संरचना सहित बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था की जा सके। इस योजना के तहत जारी किया जाने वाला फंड अव्यपगत (non-lapsable) होता है जो कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) के अंतर्गत आता है। इसलिए, कथन-। गलत है। लोकसभा और राज्य सभा के मनोनीत सदस्य देश के किसी भी हिस्से में कार्य की सिफारिश कर सकते हैं, लेकिन निर्वाचित राज्यसभा सदस्य अपनी निधि उसी राज्य की परियोजनाओं को दे सकते हैं, जहां से वे चुने जाते हैं, न कि जहां के वो मूल निवासी हैं। अतः उपरोक्त सभी कथन गलत हैं।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए यह प्रश्न इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
चूंकि वर्तमान में सांसद निधि के 12000 करोड़ रुपये अभी भी अव्ययित (unspent) हैं, जो किहमारे सांसदों के कमजोर दृष्टिकोण को दर्शाता है। इसलिए, समय-समय पर विभिन्न एजेंसियों द्वारा इस योजना को सुव्यवस्थित करने के की मांग की जाती रही है। अतः प्रारंभिक और मुख्य दोनों ही परीक्षाओं में इसकी महत्ता देखते हुए हमने छात्रों का ध्यान इसके विस्तृत स्वरूप की ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, पीआरएस
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