संरक्षित वन


प्रश्नः क्या यह सच है कि विगत पांच वर्षों के दौरान संरक्षित वनों और अभयारण्यों में शिकार की घटनाओं में वृद्धि हुई है; शिकार की समस्या को रोकने के लिए सरकार द्वारा क्या उपचारात्मक उपाय किए गए हैं?

(मिमी चक्रवर्ती एवं दिव्येन्दु अधिकारी द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः सरकार द्वारा देश में अवैध शिकार के मुद्दे से निपटने के लिए उठाए गए प्रमुख कदमों में निम्नलिखित शामिल हैंः
  1. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में इसके उपबंधों का उल्लंघन किए जाने पर सजा का प्रावधान है। इस अधिनियम में किसी उपस्कर, वाहन अथवा हथियार, जिसका उपयोग वन्यजीव अपराध करने हेतु किया गया है, को जब्त करने का भी प्रावधान है।
  2. राज्यों में कानून प्रवर्त्तन प्राधिकरणों द्वारा वन्य पशुओं के अवैध शिकार पर कड़ी निगरानी रखी जाती है।
  3. वन्यजीवों के अवैध शिकार तथा उनके उत्पादों के अवैध व्यापार के बारे में आसूचना एकत्रित करने तथा वन्यजीव कानूनों के प्रवर्त्तन में अंतर-राज्यीय और सीमापारीय समन्वयन स्थापित करने के लिए वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की स्थापना की गई है।
  4. वन्यजीवों और उनके पर्यावासों को संरक्षण प्रदान करने के लिए वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के उपबंधों के अंतर्गत देशभर में महत्वपूर्ण वन्यजीव पर्यावासों को शामिल करते हुए सुरक्षित क्षेत्र अर्थात राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, संरक्षण रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व सृजित किए गए हैं।
  5. तेंदुओं सहित वन्यजीवों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने और उनके पर्यावासों में सुधार करने के लिए केंद्रीय प्रायोजित स्कीमों - ‘वन्यजीव पर्यावासों का एकीकृत विकास’, ‘बाघ परियोजना’ और ‘हाथी परियोजना’ के अंतर्गत राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।