संसद प्रश्न और उत्तर

सिविल सर्विसेज क्रॉनिकल ऑनलाइन, दिसंबर, 2021 :

भारत में महिला पायलट

नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार, भारत में पंजीकृत 17,726 पायलटों में से महिला पायलटों की संख्या 2,764 है।

  • भारत में महिला पायलटों की हिस्सेदारी, जो वर्तमान में कुल कार्यबल का लगभग 15% है, अंतरराष्ट्रीय औसत 5% से काफी अधिक है।
  • नागर विमानन मंत्रालय और उससे जुड़े संगठनों ने देश में पायलटों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के पांच हवाई अड्डों- बेलगावी, जलगांव, कलबुर्गी, खजुराहो और लीलाबाड़ी पर नौ नए उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) के लिए के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है।
  • अमेठी (उत्तर प्रदेश) में स्थापित राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र विमानन विश्वविद्यालय है। यह नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करता है।

कार्बन सिंक की क्षमता

फरवरी 2021 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) को सौंपी गई भारत की तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार, 'भूमि उपयोग, भूमि-उपयोग परिवर्तन और वानिकी' (Land Use, Land-use Change and Forestry: LULUCF) क्षेत्र एक शुद्ध कार्बन सिंक था और 2016 में CO2 के समतुल्य 307.82 मिलियन टन मात्रा पृथक्कृत की गई थी।

  • 2015-16 से 2019-20 के दौरान विभिन्न वनीकरण और वृक्षारोपण कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों द्वारा सामूहिक रूप से औसतन 1.79 मिलियन हेक्टेयर वार्षिक वनीकरण हासिल किया गया है।
  • भारत सरकार ने 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से CO2 के समतुल्य 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन सिंक सृजित करने की दिशा में कई पहल की हैं।
  • भारत ने 2030 तक ‘भूमि अवक्रमण निष्प्रभाविता’ (land degradation neutrality) और 26 मिलियन हेक्टेयर अवक्रमित भूमि की बहाली के लिए भी प्रतिबद्धता की है। इससे वनों और जैव विविधता को संरक्षित करने और कार्बन सिंक में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।

'कावेरी' इंजन परियोजना

सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने 1989 में एयरक्राफ्ट से संबंधित स्वदेशी 'कावेरी इंजन परियोजना' को मंजूरी दी थी।

  • 2035.56 करोड़ रुपये के खर्च के साथ 30 साल तक चली इस परियोजना में नौ पूर्ण प्रोटोटाइप इंजन और चार कोर इंजन का विकास किया गया।
  • कुल 3217 घंटे का इंजन परीक्षण किया गया और इंजन ने ऊंचाई परीक्षण और फ्लाइंग टेस्ट बेड (एफटीबी) परीक्षण भी पूरा किया है।
  • पहली बार स्वदेश में विकसित सैन्य गैस टरबाइन इंजन का उड़ान परीक्षण किया गया।
  • कावेरी इंजन परियोजना ने कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी डोमेन में उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (higher Technology Readiness Level) हासिल किया है और उन प्रौद्योगिकियों का उपयोग देश के विभिन्न इंजन विकास कार्यक्रमों में किया जा रहा है।

वित्तीय सहायता के लिए 'प्राथमिकता' श्रेणी में पैरा-स्पोर्ट्स

युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने वित्तीय सहायता के लिए पैरा-स्पोर्ट्स (Para-sports) को 'प्राथमिकता' श्रेणी में रखा है।

  • इस मंत्रालय की खेलो इंडिया योजना के कार्य-क्षेत्रों में से एक, "दिव्यांगजनों के बीच खेल को बढ़ावा देना" विशेष रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों को समर्पित है।
  • इसके अलावा, 'राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता योजना' के तहत, देश के पैरा-एथलीटों के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर, विदेशी अनुभव, राष्ट्रीय चैंपियनशिप आदि के आयोजन तथा उपकरण की खरीद, प्रशिक्षकों और खेल कर्मचारियों के वेतन के लिए धन आवंटित किया जाता है।

गंतव्य आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम

पर्यटन मंत्रालय ने प्रतिष्ठित पर्यटन स्थलों के पास रहने वाले स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने और संवेदनशील बनाने के लिए वित्त वर्ष 2019-20 में 7 प्रतिष्ठित स्थलों पर गंतव्य आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया।

  • ये 7 प्रतिष्ठित स्थल आगरा में ताजमहल; दिल्ली में हुमायूं का मकबरा, लाल किला,कुतुबमीनार; बिहार में महाबोधि मंदिर; गोवा में कोलवा बीच; और असम में काजीरंगा हैं।
  • यह कार्यक्रम वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) 2020-21 में जारी रहा और 150 से अधिक नए गंतव्यों तक विस्तारित किया गया। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण यह कार्यक्रम 44 गंतव्यों पर संपन्न हुआ।
  • यह कार्यक्रम चालू वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जारी है। अब तक यह कार्यक्रम 24 गंतव्यों पर संपन्न हो चुका है।

असीम पोर्टल

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने आत्मनिर्भर कुशल कर्मचारी नियोक्ता मानचित्रण 'असीम' (Aatmanirbhar Skilled Employees Employer Mapping: ASEEM) पोर्टल लॉन्च किया है, जो कुशल कार्यबल की निर्देशिका के रूप में कार्य करता है।

  • इसका उद्देश्य एक ऐसा मंच प्रदान करना है, जो बाजार की मांग के साथ कुशल कार्यबल की उपलब्धता से मेल खाता हो, जिससे युवाओं के लिए बेहतर आजीविका के अवसर और नियोक्ताओं को तैयार कुशल जनशक्ति की उपलब्धता की सुविधा हो।
  • ASEEM पोर्टल का प्रबंधन मंत्रालय के तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय कौशल विकास निगम’ (NSDC) द्वारा किया जा रहा है।
  • 16 जुलाई, 2021 तक, 1.3 करोड़ उम्मीदवारों को ASEEM पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।

ज्वारीय ऊर्जा

दिसंबर 2014 में 'क्रिसिल रिस्क एंड इंफ्रास्ट्रक्चर सॉल्यूशंस लिमिटेड' (CRISIL Risk and Infrastructure Solutions Limited) के सहयोग से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, चेन्नई द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, देश की ज्वारीय विद्युत क्षमता लगभग 12,455 मेगावाट अनुमानित है।

  • देश में ज्वारीय विद्युत शक्ति का दोहन करने के पूर्व प्रयास प्रति मेगावाट 30 करोड़ रुपए से 60 करोड़ रुपए की उच्च पूंजीगत लागत के कारण विफल रहे।
  • फ्रांस में स्थित 240 मेगावाट की ला रेंस स्टेशन (1966 में स्थापित) और दक्षिण कोरिया में स्थित 254 मेगावाट की सिहवा संयंत्र (2011 में स्थापित) नामक दो ज्वारीय ऊर्जा परियोजनाओं का विश्व में ज्वारीय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता में 90% से अधिक का योगदान है।
  • वर्तमान में, बहुत अधिक पूंजीगत लागत के कारण, भारत सरकार ने ज्वारीय ऊर्जा के उत्पादन के लिए कोई नीति या कार्यक्रम लागू नहीं किया है।

ग्रामीण युवाओं को रोजगार

ग्रामीण विकास मंत्रालय वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए तीन कल्याणकारी योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है।

  • 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना' (MGNREGS) एक मांग संचालित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है, जो अकुशल श्रम कार्य करने के लिए इच्छुक वयस्क सदस्यों वाले ग्रामीण क्षेत्रों के प्रत्येक परिवार को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम सौ दिन की गारंटी मजदूरी प्रदान कर परिवारों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाने का प्रावधान करता है।
  • 'दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना' (DDU-GKY) मजदूरी रोजगार के लिए एक नियोजन से संबद्ध (placement linked) कौशल विकास कार्यक्रम है।
  • 'ग्रामीण स्वरोजगार और प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से कौशल विकास' कार्यक्रम एक प्रशिक्षु को बैंक ऋण लेने और अपना खुद का सूक्ष्म उद्यम शुरू करने में सक्षम बनाता है।

पूर्वोत्तर ग्रामीण आजीविका परियोजना

पूर्वोत्तर ग्रामीण आजीविका परियोजना (North East Rural Livelihood Project: NERLP) 2012 से सितंबर 2019 तक लागू की गई थी।

  • इसे पूर्वोत्तर के 4 राज्यों के 11 जिलों मिजोरम (आइजोल और लुंगलेई जिले), नागालैंड (पेरेन और तुएनसांग जिले), सिक्किम (दक्षिण सिक्किम और पश्चिम सिक्किम जिले) और त्रिपुरा (पश्चिम त्रिपुरा, उत्तरी त्रिपुरा, सिपाहीजाला, खोवाई और उनाकोटी जिले) के 58 विकास खंडों के तहत 1,645 गांवों में लागू किया गया था।
  • परियोजना की प्रमुख उपलब्धियां इस प्रकार हैं- 10,462 लड़कों और लड़कियों को विभिन्न रोजगार संबंधित कौशलों में प्रशिक्षित किया गया; 2,92,889 परिवारों को 28,154 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और 1212 ग्राम संघों के गठन और 1599 सामुदायिक विकास समूहों के गठन के माध्यम से कवर किया गया था।
  • परियोजना के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों के 97% सदस्यों के पास बचत-बैंक खाते थे, जिनकी संचयी बचत 60.51 करोड़ रुपये थी।

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