भारत का पहला आर्कटिक शीतकालीन अभियान

  • 19 Dec 2023

18 दिसंबर, 2023 को केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने 'भारतीय शीतकालीन आर्कटिक अभियान' (Indian Winter Arctic Expedition) को हरी झंडी दिखाई।

  • आर्कटिक के लिए भारत के पहले शीतकालीन वैज्ञानिक अभियान में चार वैज्ञानिक शामिल हैं।
  • पहले आर्कटिक शीतकालीन अभियान के पहले बैच में निम्नलिखित संस्थानों के शोधकर्ता शामिल हैं-
    1. राष्ट्रीय अंटार्कटिक एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (NCPOR),
    2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी;
    3. भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे; तथा
    4. रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरू।
  • आर्कटिक के लिए यह वैज्ञानिक अभियान (नवंबर से मार्च) शोधकर्ताओं को ध्रुवीय रातों के दौरान ऐसे क्षेत्र में अद्वितीय वैज्ञानिक अवलोकन करने की अनुमति देगा, जहां सर्दियों के दौरान लगभग रोज ही तापमान -15 डिग्री सेल्सियस से कम होता है।
  • इससे आर्कटिक, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, अंतरिक्ष के मौसम, समुद्री-बर्फ, महासागर परिसंचरण गतिशीलता (सी सर्कुलेशन डायनेमिक्स), इकोसिस्टम अनुकूलन आदि जैसे कारकों की समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।
  • भारत आर्कटिक में 2008 से हिमाद्रि नामक एक अनुसंधान आधार केंद्र संचालित कर रहा है, जो ज्यादातर ग्रीष्मकाल (अप्रैल से अक्टूबर) के दौरान वैज्ञानिकों की मेजबानी करता रहा है।
  • पृथ्वी के ध्रुवों (आर्कटिक और अंटार्कटिक) पर भारतीय वैज्ञानिक अभियानों को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की ध्रुवीय विज्ञान एवं क्रायोस्फीयर अनुसंधान (PACER) योजना के तहत, राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR), गोवा द्वारा समर्थन प्रदान किया जाता है।