मराठा योद्धा रघुजी भोसले की तलवार भारत को वापस मिला
- 30 Apr 2025
29 अप्रैल, 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने लंदन की सोथबी नीलामी में मराठा सेनानी एवं नागपुर स्थित भोसले वंश के संस्थापक रघुजी भोसले प्रथम (1695–1755) का ऐतिहासिक तलवार ₹47.15 लाख (£38,100) की कुल लागत पर पुनः प्राप्त की। यह पहली बार है जब महाराष्ट्र ने किसी सांस्कृतिक महत्ता वाली ऐतिहासिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय नीलामी से वापस लाया है।
मुख्य तथ्य:
- ऐतिहासिक विरासत: रघुजी भोसले प्रथम छत्रपति शाहू महाराज के अधीन प्रमुख मराठा सेनापति थे, जिन्होंने बंगाल (1745), ओडिशा, छत्तीसगढ़, चांदा, संभलपुर व दक्षिण भारत में मराठा साम्राज्य का विस्तार किया। उन्हें ‘सेनासाहिब सुब्हा’ की उपाधि मिली थी।
- तलवार की विशेषता: यह तलवार ‘फिरंगी’ शैली की है - सीधी, एकधारी यूरोपीय ब्लेड (संभवत: जर्मनी या इटली से आयातित), जिस पर सोने की देवनागरी में ‘श्रीमंत रघोजी भोसले सेनासाहिब सुब्हा फिरंग’ खुदा है। हिल्ट पर कोफ्तगिरी सोने की कारीगरी और हरे कपड़े की पकड़ है।
- सांस्कृतिक महत्व: यह तलवार न केवल मराठा सैन्य परंपरा, बल्कि 18वीं सदी के वैश्विक शस्त्र व्यापार और भारतीय-यूरोपीय शिल्प के संगम का प्रतीक है। अधिकांश मध्यकालीन भारतीय हथियारों पर मालिक या निर्माता का नाम नहीं होता, जिससे यह तलवार विरल और विशिष्ट बनती है।
- ऐतिहासिक संदर्भ: 1817 की सीताबल्दी लड़ाई के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने नागपुर भोसलों की संपत्ति लूट ली थी; यह तलवार संभवतः उसी काल में बाहर गई।
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