दिल्ली का‘मूल शीश महल पुनः जीवंत
- 08 Jul 2025
7 जुलाई 2025, दिल्ली के शालीमार बाग स्थित ऐतिहासिक शीश महल, बारादरी (12 दरवाजों वाला मंडप) और तीन विरासत-युगीन कॉटेज का एक वर्ष की बहाली के बाद सार्वजनिक रूप से अनावरण किया गया।
मुख्य तथ्य:
- निर्माण और ऐतिहासिक महत्व: शीश महल का निर्माण 1653 में मुगल सम्राट शाहजहाँ की पत्नी इज़्ज़-उन-निशा बेगम ने करवाया था; यह कश्मीर के शालीमार बाग की प्रतिकृति और मुगल बाग वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह स्थल और संरचनाएँ औरंगज़ेब के 1658 के आत्म-राज्याभिषेक और 1738 में नादिर शाह के दिल्ली आक्रमण की साक्षी रही हैं; 1983 में इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया।
- पुनर्स्थापन कार्य और तकनीक: जनवरी 2024 में तत्कालीन उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा संरक्षण अभियान आरंभ किया गया; दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तकनीकी पर्यवेक्षण में पारंपरिक सामग्री (लखोरी ईंट, चूना, लाल बलुआ पत्थर) और तकनीकों से संरचनाओं की पुनर्स्थापनाकी।
- संरचनात्मक विशेषताएँ: मुख्य भवन के साथ बारादरी, जलधारा, वर्गाकार टैंक और फव्वारे हैं; पास का लाल बलुआ पत्थर का भवन कभी हमाम (सार्वजनिक स्नानघर) था; परिसर में तीन कॉटेज (1930 निर्मित) हैं—दो को ‘कैफे शालीमार’ और ‘रीडर्स कैफे कॉर्नर’ के रूप में पुनः उपयोग किया गया है, तीसरा कार्यालय उपयोग हेतु है।
- संरचनात्मक पुनर्स्थापन में प्रमुख कार्य: छत की जलरोधकता, दीवारों और छतों पर चूना प्लास्टर, बारादरी की दीवारों और छत पर पारंपरिक रंगों से पुष्प चित्रांकन, चहारबाग शैली के बाग का पुनरुद्धार, और परिसर के कुएं की सफाई व पुनर्निर्माण किया गया।
- शेष चुनौतियाँ: मूल जलधारा और झरना प्रणाली के पुनर्निर्माण में ऐतिहासिक साक्ष्य की कमी के कारण कठिनाई आ रही है; ASI टीम इसे ऐतिहासिक प्रमाणों के आधार पर पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है।
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