विश्व की पहली जीनोम-संपादित धान की किस्में
- 05 May 2025
4 मई, 2025 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने घोषणा की कि उसने विश्व की पहली जीनोम-संपादित (Genome Edited - GE) धान की दो किस्में विकसित की हैं, जिनमें उच्च उपज, सूखा एवं लवणता सहनशीलता तथा नाइट्रोजन उपयोग दक्षता जैसी गुण हैं।
मुख्य तथ्य:
- संस्थान: हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ राइस रिसर्च (IIRR) और नई दिल्ली स्थित इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) ने CRISPR-Cas SDN-1 तकनीक से लोकप्रिय सांबा महसूरी (BPT-5204) और कॉटनडोरा सन्नालु (MTU-1010) धान की GE किस्में विकसित कीं।
- 'कमला' (IET-32072) : GE सांबा महसूरी किस्म का औसत धान उत्पादन 5.37 टन/हेक्टेयर (संभावित 9 टन/हेक्टेयर) है, जो मूल किस्म (4.5 टन/हेक्टेयर) से अधिक है; परिपक्वता अवधि 130 दिन, यानी 15-20 दिन कम।
- 'पुसा DST राइस 1' (IET-32043): GE MTU-1010 किस्म ने लवणता तनाव में 3.508 टन/हेक्टेयर, क्षारीय परिस्थितियों में 3.731 टन/हेक्टेयर और तटीय तनाव में 2.493 टन/हेक्टेयर औसत उत्पादन दिया, जो मूल किस्म से अधिक है।
- नियमन: GE फसलें, जिनमें विदेशी जीन नहीं होते, भारत के पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जैव सुरक्षा नियमों से मुक्त हैं; इन किस्मों को 2023-24 में ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन राइस के तहत बहु-स्थान परीक्षण मिला।
- भविष्य की दिशा: केंद्र सरकार ने 2023-24 के बजट में GE फसलों के अनुसंधान के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए; CRISPR-Cas9 तकनीक पर बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संबंधी मुद्दे सुलझाए जा रहे हैं।
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