स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने हेतु सरकारी मंजूरी
- 08 May 2025
7 मई 2025 को एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्टारलिंक को भारत सरकार ने सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए लगभग तीन साल बाद मंजूरी दे दी और कंपनी को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस हेतु लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) जारी किया गया।
मुख्य तथ्य:
- मंजूरी की प्रक्रिया: स्टारलिंकको दूरसंचार विभाग (DoT) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के सभी 29 कड़े शर्तों को स्वीकारने के बाद लेटर ऑफ इंटेंट जारी किया। अंतिम लाइसेंस कंपनी को सभी शर्तें पूरी करने के बाद मिलेगा।
- तकनीकी विवरण: स्टारलिंकके पास वर्तमान में 7,000 से अधिक लो-अर्थ ऑर्बिट(LEO) सैटेलाइट्स का नेटवर्क है, जो भारत में हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट उपलब्ध कराएगा। कंपनी ने जियो और Airtel के साथ खुदरा साझेदारी भी की है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा शर्तें: सेवा प्रदाताओं को डेटा भारत में ही रखना होगा, किसी भी यूज़र ट्रैफिक को भारत के बाहर के गेटवे से रूट नहीं किया जा सकेगा, 20 प्रतिशत ग्राउंड सेगमेंट का स्वदेशीकरण 5 वर्षों में करना अनिवार्य होगा, और NavIC आधारित पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग करना होगा।
- सेवा क्षेत्र: स्टारलिंक , वनवेब और जियो-सेस के मुकाबले मोबाइल सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने वाली पहली कंपनी बन सकती है, जिससे दूरदराज, ग्रामीण और आपातकालीन क्षेत्रों में भी कनेक्टिविटी संभव होगी।
- प्रतिस्पर्धा और बाजार: स्टारलिंकको भारत में प्रवेश के लिए जियो और Airtel जैसी टेलीकॉम कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए प्रशासनिक मार्ग चुना, क्योंकि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम साझा होता है और उसकी नीलामी तकनीकी रूप से कठिन है।
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