न्यायमूर्ति बी.आर. गवई : भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश
- 15 May 2025
13 मई 2025 को, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई को राष्ट्रपति भवन में भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा, जो लगभग छह माह का है। वे इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले बौद्ध और दूसरे दलित (के.जी. बालकृष्णन के बाद) मुख्य न्यायाधीश हैं। उनका जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे और इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश (2005) और अतिरिक्त न्यायाधीश (2003) रहे।
मुख्य तथ्य:
- ऐतिहासिक फैसले : न्यायमूर्ति गवई ने 300 से अधिक निर्णय लिखे, जिनमें संविधान पीठ के कई ऐतिहासिक फैसले शामिल हैं, जैसे अनुच्छेद 370 की समाप्ति, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना, और नोटबंदी पर निर्णय।
- शपथ हिंदी में : वे ऐसे पहले मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने शपथ हिंदी में ली। शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व CJI संजीव खन्ना सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
- कार्यकाल : न्यायमूर्ति गवई के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 81,000 से अधिक है। उनके कार्यकाल के दौरान Places of Worship Act और Waqf (Amendment) Act, 2025 जैसी संवैधानिक चुनौतियों पर सुनवाई संभावित है।
- प्रशासनिक कानून के विशेषज्ञ :वे संविधान, नागरिक अधिकारों और प्रशासनिक कानून के विशेषज्ञ माने जाते हैं। उन्होंने नागपुर बेंच में वकालत की और महाराष्ट्र सरकार के लिए प्लीडर व प्रॉसिक्यूटर के रूप में भी कार्य किया।
- अनुसूचित जाति वर्ग से लगभग एक दशक बाद नियुक्त : सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के समय वे अनुसूचित जाति वर्ग से लगभग एक दशक बाद नियुक्त होने वाले पहले न्यायाधीश बने।
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