भारत ने यूके-मॉरीशस चागोस संधि का स्वागत किया
- 23 May 2025
22 मई, 2025 को भारत ने यूनाइटेड किंगडम और मॉरीशस के बीच चागोस द्वीपसमूह (Chagos Archipelago), जिसमें डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) भी शामिल है, पर मॉरीशस की संप्रभुता लौटाने संबंधी संधि का स्वागत किया।
मुख्य तथ्य:
- संधि का उद्देश्य: ब्रिटेन ने मॉरीशस को चागोस द्वीपसमूह की संप्रभुता सौंपने के लिए £3.4 बिलियन (लगभग $4.6 बिलियन) का समझौता किया; डिएगो गार्सिया द्वीप पर यूके-यूएस सैन्य अड्डे के संचालन के लिए 99 वर्ष की लीज़ पर अधिकार बनाए रखेगा।
- लीज़ और भुगतान: ब्रिटेन अगले 99 वर्षों तक डिएगो गार्सिया के सैन्य अड्डे के लिए £101 मिलियन प्रति वर्ष मॉरीशस को भुगतान करेगा; पहले तीन वर्षों में £165 मिलियन, अगले 10 वर्षों में £120 मिलियन प्रति वर्ष, फिर मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजन।
- ऐतिहासिक संदर्भ: चागोस द्वीपसमूह 1814 से ब्रिटेन के अधीन था; 1965 में मॉरीशस से अलग किया गया और 1970 के दशक में डिएगो गार्सिया पर सैन्य अड्डा स्थापित करने के लिए 1,500 निवासियों को विस्थापित किया गया।
- भारत का रुख: भारत ने हमेशा मॉरीशस की वैध संप्रभुता के दावे का समर्थन किया है और इस संधि को अंतरराष्ट्रीय कानून व नियम-आधारित व्यवस्था की जीत बताया है।
- क्षेत्रीय प्रभाव: यह संधि हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा, स्थिरता और शांति के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है; भारत ने मॉरीशस और अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।
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