भारत में पहली वैश्विक पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन
- 14 Jul 2025
संस्कृति मंत्रालय ने घोषणा की है कि भारत 11–13 सितंबर 2025 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में अपनी पहली वैश्विक पांडुलिपि धरोहर सम्मेलन आयोजित करेगा, जिसका उद्देश्य देश की प्राचीन पांडुलिपियों की विरासत का संरक्षण और साझा करना है।
मुख्य तथ्य:
- सम्मेलन की थीम और तिथियाँ: “पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत को पुनः प्राप्त करना” (“Reclaiming India’s Knowledge Legacy Through Manuscript Heritage” )विषय पर तीन दिवसीय सम्मेलन आयोजित होगा।
- सहभागिता और स्वरूप: सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें भारत और विदेश के 75 प्रतिष्ठित विद्वान शामिल हैं, भौतिक और ऑनलाइन दोनों रूपों में भाग लेंगे।
- पांडुलिपि संग्रह: भारत के पास 1 करोड़ (10 मिलियन) से अधिक पांडुलिपियाँ हैं, जो विविध लिपियों और भाषाओं में दर्शन, विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, अनुष्ठान और कला जैसे विषयों को समेटे हुए हैं।
- स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि: सम्मेलन की शुरुआत 11 सितंबर को होगी, जो स्वामी विवेकानंद के 1893 के शिकागो भाषण की वर्षगांठ है; यह भारत की वैश्विक शांति और ज्ञान-विनिमय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- प्रदर्शनी और नवाचार: सम्मेलन में दुर्लभ पांडुलिपियों (यूनेस्को मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड सहित), संरक्षण के लाइव डेमो, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पांडुलिपि नवाचार पर स्टार्टअप प्रदर्शनी शामिल होगी; साथ ही युवा विद्वानों के लिए प्रशिक्षण, स्क्रिप्ट लैब और कार्यशालाओं वाला विशेष "पांडुलिपि अनुसंधान पार्टनर (एमआरपी) कार्यक्रम ("Manuscript Research Partner (MRP) Programme") भी शुरू किया जाएगा।
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