सोशल मीडिया पर वाक् स्वतंत्रता का दुरुपयोग : उच्चतम न्यायालय
- 15 Jul 2025
14 जुलाई 2025, उच्चतम न्यायालय में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सोशल मीडिया पर अनुचित, विभाजनकारी और अपमानजनक टिप्पणियों के बढ़ते दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की और ऐसी पोस्टों के लिए मार्गनिर्देश तय करने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्य तथ्य:
- अभिव्यक्ति की सीमा: न्यायालय ने कहा कि संविधान में प्रदत्त वाक् स्वतंत्रता बिना सीमाओं के नहीं है; सोशल मीडिया पर इस अधिकार का दुरुपयोग "विभाजनकारी प्रवृत्ति भड़काने" के लिए नहीं होना चाहिए।
- मार्गनिर्देश प्रस्ताव:न्यायालय ने कहा कि यह मुद्दा महज मौजूदा याचिका तक सीमित नहीं है और न्यायालय "सेंसरशिप नहीं, बल्कि बंधुत्व, धर्मनिरपेक्षता और व्यक्ति की गरिमा" के हित में नियमन के मार्गदर्शक सिद्धांतों पर विचार करेगा।
- संदर्भ याचिका: कोलकाता निवासी वज़ाहत खान द्वारा दाखिल याचिका में उनके सोशल मीडिया पोस्टों के संबंध में विभिन्न राज्यों में दर्ज एफआईआर को एकीकृत करने की मांग की गई थी; वज़ाहत खान की शिकायत के आधार पर सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर शर्मिष्ठा पानौली की गिरफ्तारी हुई थी।
- आत्मनियंत्रण की आवश्यकता: न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि नागरिकों को वाक् स्वतंत्रता के मूल्य को समझना चाहिए और उसमें आत्मनियंत्रण रखना चाहिए; अगर ऐसा नहीं हुआ, तो राज्य को हस्तक्षेप करना पड़ेगा, "जो कोई नहीं चाहता।"
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