संसद या विधानसभाओं द्वारा कानून बनाना न्यायालय का अवमान नहीं
- 04 Jun 2025
3 जून 2025 को, उच्चतम न्यायलय ने कहा कि संसद या राज्य विधानसभाओं द्वारा कोई कानून बनाना स्वयं में न्यायालय का अवमान नहीं है।
मुख्य तथ्य:
- मामला और पृष्ठभूमि: यह टिप्पणी उच्चतम न्यायलय ने समाजशास्त्री और पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर तथा अन्य द्वारा 2012 में दायर एक अवमान याचिका के निस्तारण के दौरान की।
- याचिका का विषय: याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ सरकार पर सर्वोच्च न्यायालय के 2011 के आदेश (सलवा जुडूम और SPO के मुद्दे पर) की अवहेलना का आरोप लगाया था, जबकि राज्य ने 2011 में छत्तीसगढ़ सहायक सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम पारित किया था।
- कानून बनाने की शक्ति: कोर्ट ने कहा कि किसी भी विधानसभा को कानून पारित करने की पूर्ण शक्ति है और जब तक किसी संवैधानिक न्यायालय द्वारा उस कानून को असंवैधानिक या शून्य नहीं घोषित किया जाता, तब तक उसका कानूनी प्रभाव रहता है।
- संविधान और शक्ति विभाजन: न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 315 के अनुसार, केंद्र और राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि शांति और पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
- कानून को चुनौती देने का तरीका: कोर्ट ने कहा कि यदि कोई पक्ष किसी कानून को असंवैधानिक मानता है, तो उसे संबंधित न्यायालय में चुनौती देनी चाहिए, न कि अवमान याचिका दायर करनी चाहिए।
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