28 राज्यों पर कुल सार्वजनिक ऋण तीन गुना: CAG रिपोर्ट
- 20 Sep 2025
 
19 सितम्बर, 2025 को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की पहली डिकेडल रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के 28 राज्यों का कुल सार्वजनिक ऋण 2013-14 के ₹17.57 लाख करोड़ से बढ़कर 2022-23 में ₹59.60 लाख करोड़ हो गया, अर्थात 3.39 गुना वृद्धि। यह ₹2,59,57,705 करोड़ के संयुक्त GSDP का 22.96% है ।
मुख्य तथ्य:
- राज्यों का सकल कर्ज: 2022-23 में 28 राज्यों का कुल ऋण ₹59,60,428 करोड़, जो राष्ट्रीय GDP के 22.17% के बराबर है।
 - राज्यवार उच्चतम ऋण दर: पंजाब (40.35%), नागालैंड (37.15%), पश्चिम बंगाल (33.7%) में सबसे ऊँचा Debt-to-GSDP अनुपात; ओडिशा (8.45%), महाराष्ट्र (14.64%), गुजरात (16.37%) सबसे कम है।
 - ऋण के स्रोत: सार्वजनिक ऋण में बाजार से बांड/सिक्योरिटी, बैंकों/LIC/NABARD से ऋण, RBI से WMA, केंद्र सरकार द्वारा विशेष सहायता आदि शामिल; कोविडकाल (2020-21) में GSDP में गिरावट व पूंजीगत व्यय में वृद्धि का प्रभाव है।
 - राजस्व-आधारित संकेतक: पिछले दशक में राज्यों का कुल ऋण उनके आय अभिलेख (Revenue Receipts) का औसतन 150%; FY15-FY21 में 128%-191% के बीच।
 - चिंताजनक तथ्य: 11 राज्यों ने कारोबार/संचालन व्यय (Revenue Deficit) चलाने के लिए भी ऋण लिया, जो 'गोल्डन रूल ऑफ बॉरोइंग' का उल्लंघन है—अर्थात ऋण सिर्फ निवेश/पूंजीगत निर्माण के लिए होना चाहिए।
 
    सामयिक खबरें
                            
                            
सामयिक खबरें
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                        
                                                                
                                                                
                                                                 
                                            
                        
                सामयिक खबरें
    राष्ट्रीय
                                        
                                        
                                        
                                            
                                    
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                                                    
                                                            - राजनीति और प्रशासन
 - अवसंरचना
 - आंतरिक सुरक्षा
 - आदिवासियों से संबंधित मुद्दे
 - कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ
 - कार्यकारी और न्यायपालिका
 - कार्यक्रम और योजनाएँ
 - कृषि
 - गरीबी और भूख
 - जैवविविधता संरक्षण
 - पर्यावरण
 - पर्यावरण प्रदूषण, गिरावट और जलवायु परिवर्तन
 - पारदर्शिता और जवाबदेही
 - बैंकिंग व वित्त
 - भारत को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह
 - भारतीय अर्थव्यवस्था
 - रक्षा और सुरक्षा
 - राजव्यवस्था और शासन
 - राजव्यवस्था और शासन
 - रैंकिंग, रिपोर्ट, सर्वेक्षण और सूचकांक
 - विज्ञान और प्रौद्योगिकी
 - शिक्षा
 - सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप
 - सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय
 - स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे
 




