अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" का 20वां सत्र दिल्ली में
- 09 Dec 2025
8 दिसंबर, 2025 को दिल्ली के लाल किले परिसर में आयोजित UNESCO की " अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" की 20वीं सत्र की शुरुआत सभा में भारत के विदेश मंत्री ने बहुपक्षीय सहयोग और सांस्कृतिक विरासत संरक्षण की अहमियत पर जोर दिया।
मुख्य तथ्य:
- वैश्विक परिस्थिति: विश्व बहुध्रुवीय होता जा रहा है, जो गहरे बहुपक्षीय सहयोग की मांग करता है।
- सांस्कृतिक विरासत: साझा प्रगति हेतु सांस्कृतिक विरासत का पोषण, संरक्षण और अगली पीढ़ी तक हस्तांतरण आवश्यक।
- भारत की पहल: भारत ने अनेक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ विश्व स्तर पर अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण परियोजनाएँ चलाई हैं।
- विविधता का सम्मान: विश्व की समृद्धि उसकी सांस्कृतिक विविधता से आती है, जिसे दबाना, अनदेखा करना या कमतर आंका जाना चुनौती है।
- सांस्कृतिक पुनर्संतुलन: उपनिवेशवाद के खत्म होने के साथ सांस्कृतिक पुनर्संतुलन आवश्यक, राजनीतिक एवं आर्थिक पुनर्संतुलन के साथ-साथ।
- अमूर्त सांस्कृतिक विरासत: परंपराओं, रीति-रिवाजों, अभिव्यक्तियों, ज्ञान और कौशल का वह समुच्चय जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता है और समुदायों की सांस्कृतिक पहचान एवं निरंतरता सुनिश्चित करता है।
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