अंजदीप
- 23 Dec 2025
22 दिसंबर, 2025 को भारत की समुद्री सुरक्षा और स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए, भारतीय नौसेना को‘अंजदीप’ प्राप्त हुआ, जो एक पनडुब्बी रोधी शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW) है। यह प्राप्ति नौसेना के युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता और तटीय रक्षा तैयारियों को बढ़ाने की दिशा में एक और मील का पत्थर है।
मुख्य तथ्य:
- परियोजना संरचना: ASW SWC परियोजना GRSE और L&T शिपयार्ड, कट्टूपल्ली के बीच सार्वजनिक–निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर कार्यान्वित हो रही है।
- तकनीकी विशेषताएँ: लगभग 77 मीटर लंबाई वाले ये ASW SWC जल-जेट द्वारा प्रेरित सबसे बड़े भारतीय युद्धपोत हैं, जिनमें अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो, स्वदेशी एंटी-सबमरीन रॉकेट और शैलो-वॉटर सोनार लगे हैं, जो पनडुब्बी-रोधी अभियानों, तटीय निगरानी और माइन बिछाने की क्षमता बढ़ाएँगे।
- नामकरण: ‘अंजादीप’ का नाम कर्नाटक के कारवार तट के समीप अंजादीप द्वीप पर रखा गया है और यह 2003 में डिकमीशन हुई पेट्या-श्रेणी की कॉर्वेट पूर्व ‘आईएनएस अंजादीप’ का पुनर्जन्म है।
- निर्माण उपलब्धि: इस डिलीवरी के साथ GRSE ने एक वर्ष में नौसेना को पाँच युद्धपोत सौंपने की उपलब्धि हासिल की; ‘अंजादीप’ शिपयार्ड द्वारा निर्मित 115वाँ युद्धपोत तथा नौसेना को सौंपा गया 77वाँ पोत है, जिसे पूर्वी नौसैनिक कमान के चीफ स्टाफ ऑफिसर (टेक्निकल) रियर एडमिरल गौतम मरवाहा, VSM द्वारा स्वीकार किया गया।
- आत्मनिर्भरता: 30 मिमी स्वदेशी नौसैनिक गन और 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री से सुसज्जित ‘अंजादीप’ आत्मनिर्भर भारत और घरेलू रक्षा विनिर्माण तंत्र की बढ़ती क्षमता का उदाहरण है।
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