सर्वोच्च न्यायालय का अरावली परिभाषा पर स्थगन आदेश
- 30 Dec 2025
29 दिसंबर, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पहाड़ियों और अरावली पर्वतमाला की परिभाषा पर 20 नवंबर को जारी अपने स्वयं के आदेश को स्थगित (Stay) कर दिया है तथा मुद्दों की जांच के लिए नवीन विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया है ।
मुख्य तथ्य:
- न्यायिक पीठ: मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायाधीश जे.के. महेश्वरी व ए.जी. मसीह की अवकाश पीठ ने अरावली परिभाषा पर पूर्व आदेश को स्थगित किया है तथा परीक्षण आवश्यक मुद्दों के लिए नवीन विशेषज्ञ समिति बनाने का आदेश दिया है ।
- न्यायालय का तर्क: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि पूर्व स्वीकृत परिभाषाओं पर स्पष्टीकरण आवश्यक है तथा 20 नवंबर के निर्णय की दिशा को स्थगित रखा जाए; ऐसे मुद्दे हैं जिन पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है ।
- नोटिस जारी: न्यायालय ने केंद्र और अरावली वाले चार राज्यों—राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा—को स्वप्रेरणा (suo motu) मामले में अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए नोटिस जारी किया है ।
- पृष्ठभूमि: 27 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने अरावली पर्वतमाला की परिभाषा से जुड़ी चिंताओं का स्वप्रेरणा संज्ञान लिया था, क्योंकि पर्यावरणविदों और विपक्षी दलों की ओर से केंद्र की नई अधिसूचित परिभाषा (100 मीटर ऊँचाई मानदंड आधारित) के नाज़ुक पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभाव को लेकर आलोचना बढ़ रही थी ।
- खनन प्रतिबंध: 24 दिसंबर को केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यों को अरावली में किसी भी नए खनन पट्टे की मंजूरी पर पूर्ण प्रतिबंध का निर्देश जारी किया था।
- स्वप्रेरणा संज्ञान (Suo Motu Cognisance) : वह न्यायिक शक्ति है जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय किसी औपचारिक याचिका या वाद दायर किए बिना, स्वयं के संज्ञान में मामला लेकर कार्यवाही शुरू कर सकता है; यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) तथा 226 (उच्च न्यायालय) के तहत रिट क्षेत्राधिकार एवं न्यायिक सक्रियता (Judicial Activism) का हिस्सा है।
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