वैवाहिक मामलों के लिए दिशानिर्देश

  • 21 Nov 2020

4 नवंबर, 2020 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक फैसले में वैवाहिक मामलों में गुजारा भत्ता के भुगतान संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए गए।

महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश: परित्यक्त पत्नियां (deserted wives) और बच्चे, अदालत में आवेदन करने की तारीख से, अपने पति से गुजारा भत्ता / भरण-पोषण के हकदार हैं।

  • निर्देशों के उल्लंघन से दीवानी हिरासत (civil detention) और यहां तक कि बाद में संपत्ति की कुर्की जैसी सजा हो सकती है।
  • पति अगर शारीरिक रूप से सक्षम है और उसकी शैक्षणिक रूप से योग्य है, तो उसकी यह दलील कि उसके पास आय का कोई भी स्रोत नहीं है, उसे अपनी पत्नी की जिम्मेदारी उठाने के नैतिक कर्तव्य से मुक्त नहीं करेगी।
  • आवेदन करने वाली पत्नी और जवाबदेह पति दोनों को गुजारा भत्ता के मामले में अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा करना होगा। किसी अन्य कानून के तहत पहले से दायर या लंबित किसी मामले को भी अदालत में प्रकट करना होगा।
  • अदालतों द्वारा गुजारा भत्ते की गणना करते समय बच्चों के खर्चों, उनकी शिक्षा, बुनियादी जरूरतों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को शामिल करते हुये अन्य कारकों जैसे कि 'महंगाई दर और जीवन यापन की उच्च लागत' पर भी विचार किया जाना चाहिए।
  • यह फैसला महाराष्ट्र की एक वैवाहिक याचिका पर आधारित था, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत एक व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी और बेटे को गुजारा- भत्ते के भुगतान पर सवाल उठाया गया था।