तैरती हुई अवसंरचनाओं हेतु तकनीकी विनिर्देश

  • 10 Dec 2020

( 07 December, 2020, , www.pib.gov.in )


7 दिसंबर, 2020 को पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने तैरती हुई अवसंरचनाओं (floating structures) हेतु तकनीकी विनिर्देशों के लिए मसौदा दिशा-निर्देश सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए।

उद्देश्य: भारतीय तटरेखा पर विश्व स्तर की तैरती हुई अवसंरचनाओं को स्थापित करना।

फ्लोटिंग जेटी (floating jetties) के लाभ: यह कम लागत वाला समाधान है और पारंपरिक संरचनाओं की कीमत से काफी सस्ता है।

  • पारंपरिक जेटी की तुलना में तैरती हुई अवसंरचनाओं को काफी तेजी से स्थापित किया जा सकता है। आमतौर पर, पारंपरिक संरचनाओं की स्थापना में 24 महीने का समय लगता है, इसकी तुलना में तैरती हुई अवसंरचनाओं को 6-8 महीनों में तैयार किया जा सकता है।
  • पर्यावरण पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ता है। ‘मॉड्यूलर निर्माण तकनीकों’ के कारण इसका विस्तार करना आसानी से संभव है।
  • बंदरगाह के नवीनीकरण की स्थिति में इसे आसानी से दूसरी जगहों पर ले जाया जा सकता है।
  • यह जेटी और नौकाओं के बीच निरंतर मुक्त उतार- चढ़ाव (Freeboard) प्रदान करता है।
  • फ्लोटिंग जेटी विशेष रूप से उन जगहों पर लगाना काफी आसान है, जहां ज्वारीय सीमा ज्यादा है, जहां निचली ज्वारीय अवधि में पारंपरिक जहाजी घाट (quay) से समस्याएं आती हैं।

अन्य तथ्य: पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में कुछ पायलट परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है।

  • इनमें गोवा में यात्री फ्लोटिंग जेटी, साबरमती नदी और सरदार सरोवर बांध (सीप्लेन सेवाओं के लिए) पर वाटर-एयरोड्रोम की स्थापना शामिल हैं।