पोटाश की सोल्यूशन माइनिंग तकनीक

  • 25 Jan 2021

22 जनवरी, 2021 को राजस्थान में पोटाश की खास खनन तकनीक यानी सोल्यूशन माइनिंग (Solution Mining of Potash) का व्यावहारिक अध्ययन करने के लिए मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल), राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) और राजस्थान सरकार के खान एवं भू-विज्ञान विभाग के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

महत्वपूर्ण तथ्य: इस समझौता ज्ञापन से सोल्यूशन माइनिंग के माध्यम से राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा तथा राज्य देश के पहले पोटाश सोल्यूशन माइनिंग के एक केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

  • राजस्थान के उत्तर-पश्चिम भाग में नागौर-गंगानगर बेसिन में 50,000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले पोटाश और सेंधा नमक (Halite) के विशाल भंडार हैं।
  • संस्तरित नमक (Bedded Salt) निर्माण भूमिगत तेल भंडारण, हाइड्रोजन, अमोनिया और हीलियम गैस के लिए भंडारण, संपीड़ित गैस और परमाणु कचरे के भंडारण के लिए उपयोगी है।
  • संस्तरित नमक से पोटाश और सोडियम क्लोराइड का क्रमश: उर्वरक उद्योग तथा रासायनिक उद्योग में बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
  • पोटाश खनिज ‘पोटेशियम’ (K) के उर्वरक रूप का एक सामान्य नाम है, जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। यह नाम धातु के बर्तनों (Pot) में लकड़ी की राख (ash) के संग्रह से उस समय निकला है, जब इस सामग्री के लाभदायक उर्वरकों को पहली बार कई शताब्दियों पहले पहचाना गया था।

सोल्यूशन माइनिंग: यह पोटाश, या अन्य घुलनशील उत्पादों के उत्पादन को संदर्भित करता है, जिसमें पानी को भूमिगत नमक या पोटाश के जमाव में पंप करके घोला जाता है, और लवणीय जल को सतह पर लाकर सुखाकर आगे उपयोग किया जाता है।