सीवीड मिशन

  • 12 Feb 2021

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत कार्यरत एक स्वायत्त संगठन ‘प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान एंव मूल्यांकन परिषद्- टाइफैक’ (Technology Information, Forecasting and Assessment Council- TIFAC) ने 10 फरवरी, 2021 को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य से समुद्री शैवालों की व्यावसायिक खेती और इसके प्रसंस्करण के लिए 'सीवीड मिशन' (Seaweed Mission) का शुभारंभ किया।

मिशन के तहत गतिविधियां: भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में आर्थिक रूप से फायदेमंद समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मॉडल फार्म बनाया जाना।

  • शैवालों की खेती के लिए गुजरात / तमिलनाडु / आंध्र प्रदेश / ओडिशा / कर्नाटक में प्रस्तावित स्थान।
  • देश में आर्थिक रूप से फायदेमंद समुद्री शैवाल की बड़े पैमाने पर खेती के लिए बीज सामग्री की आपूर्ति के लिए समुद्री शैवाल नर्सरी की स्थापना।
  • समुद्री शैवालों जैसे अगर (agar), अगारोसे (agarose), कैरेगीनन (carrageenan) और अल्गीनेट्स (alginates) जैसे औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण शैवालों के एकीकृत उत्पादन के लिए प्रसंस्करण संयंत्र की स्थापना।

मिशन का महत्व: एक अनुमान के अनुसार यदि देश में 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र या भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र के 5% में इसकी खेती की जाए तो, पांच करोड़ लोगों को रोजगार, नये समुद्री शैवाल उद्योग की स्थापना; राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान; समुद्री उत्पादों में वृद्धि, शैवाल प्रस्फुटन में कमी, लाखों टन कार्बन डाइआक्साइड का अवशोषण और 6.6 अरब लीटर जैव-एथेनॉल का उत्पादन संभव हो सकता है।

समुद्री शैवाल: समुद्री शैवाल (Seaweed) का वैश्विक उत्पादन 32 मिलियन टन है, जिसका मूल्य लगभग 12 अरब डॉलर है।

  • कुल वैश्विक उत्पादन का 57% हिस्सा चीन, 28% इंडोनेशिया तथा इसके बाद दक्षिण कोरिया द्वारा उत्पादित किया जाता है, जबकि मात्र 0.01-0.02% भारत द्वारा उत्पादित किया जाता है।