किशोर न्याय (देखभाल और बाल संरक्षण) विधेयक 2015 में संशोधन को मंजूरी

  • 19 Feb 2021

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 17 फरवरी, 2021 को बच्चों के हितों को सुनिश्चित करने व बाल संरक्षण व्यवस्था को मजबूत बनाने के उपायों को सुनिश्चित करने के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के किशोर न्याय (देखभाल और बाल संरक्षण) विधेयक 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

महत्वपूर्ण तथ्य: संशोधन में मामलों के तेजी से निपटारा सुनिश्चित करने तथा जवाबदेही बढाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट तथा अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने का आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है।

  • जिला मजिस्ट्रेट को अधिनियम के तहत और अधिक सशक्त बनाते हुए कानून के सुचारू क्रियान्यवन का भी अधिकार दिया गया है, जिससे संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास किए जा सकें।
  • जिला मजिस्ट्रेट स्वतंत्र रूप से बाल कल्याण समिति, विशेष किशोर सुरक्षा इकाइयों और पंजीकृत बाल देखभाल संस्थानों के कामकाज का मूल्यांकन कर सकते हैं।
  • बाल कल्याण समितियों (Child Welfare Committees) के सदस्यों की नियुक्ति संबंधी योग्यता मानदंडों को परिभाषित करने और पहले से अपरिभाषित अपराधों को 'गंभीर अपराध' (serious offence) के रूप में वर्गीकृत करने का भी इसमें प्रस्ताव किया गया है।

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015: किशोर न्याय कानून (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 को प्रतिस्थापित करके यह अधिनियम लाया गया था।

  • यह अधिनियम उन किशोरों पर वयस्कों की तरह मुकद्दमा चलाने की अनुमति देता है, जिनकी उम्र 16 से 18 वर्ष है और जो जघन्य अपराध में शामिल हैं। यह भारत में सार्वभौमिक रूप से सुलभ दत्तक कानून बनाने का भी प्रावधान करता है।