प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020

  • 25 Feb 2021

( 10 February, 2021, , www.pib.gov.in )


संसद द्वारा 10 फरवरी, 2021 को प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक 2020 को पारित किया गया।

लक्ष्य: निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना।

मुख्य विशेषताएं: बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड में विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा 17 से 19 सदस्यों की जगह 11 से 13 सदस्य ही होंगे।

  • प्रमुख बंदरगाह की अवस्थिति वाले राज्य सरकार, रेल मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, सीमा शुल्क, राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों के अलावा सरकार की तरफ से एक नामित सदस्य और प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक सदस्य को इस बोर्ड में सदस्य के तौर पर शामिल करने का प्रावधान किया गया है।
  • बंदरगाह प्राधिकरण को अब तटकर तय करने के अधिकार दिए गए हैं, जोकि सार्वजनिक - निजी साझेदारी (पीपीपी) वाली परियोजनों के लिए बोली लगाने के उद्देश्यों के लिए एक संदर्भ तटकर के तौर पर काम करेगा।
  • पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने के तरीके और ऐसी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय सुझाने तथा संबंधित विवादों को देखने के लिए एक न्यायिक निर्णय करने वाला (एडजुडीकेटरी) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • बंदरगाह प्राधिकरण बोर्डों को अनुबंध करने, योजना और विकास, राष्ट्र हित को छोड़कर शुल्क तय करने, सुरक्षा और निष्क्रियता व डिफॉल्ट के चलते उपजी आपातकालीन स्थिति से निपटने के मामले में पूरी शक्तियां दी गई हैं।
  • इस विधेयक का उद्देश्य सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन के मॉडल का पुनर्विन्यास लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल के रूप में करना है। यह विधेयक मेजर पोर्ट ट्रस्ट्स एक्ट, 1963 (Major Port Trusts Act, 1963) का स्थान लेगा।