ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन

  • 11 Nov 2021

अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए नए क्षेत्रों की पहचान हेतु विद्युत मंत्रालय ने 30 अक्टूबर, 2021 को ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।

उद्देश्य: उद्योग, निर्माण, परिवहन आदि जैसे क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा की मांग को बढ़ाना।

प्रस्तावित संशोधन: प्रस्ताव में औद्योगिक इकाइयों या किसी प्रतिष्ठान द्वारा समग्र खपत में अक्षय ऊर्जा के न्यूनतम हिस्से को परिभाषित करना शामिल है। ‘कार्बन बचत प्रमाण पत्र’ के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने का प्रावधान होगा।

  • प्रस्तावित संशोधनों में अधिनियम के तहत मूल रूप से परिकल्पित ‘संस्थानों को मजबूत’ करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • प्रस्तावित संशोधन भारत में ‘कार्बन बाजार के विकास’ की सुविधा प्रदान करेंगे और अक्षय ऊर्जा की न्यूनतम खपत निर्धारित करेंगे। इससे ‘जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा खपत’ और वातावरण में ‘कार्बन उत्सर्जन’ को कम करने में मदद मिलेगी।
  • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ‘स्वच्छ प्रौद्योगिकियों’ को अपनाने को बढ़ावा देगा। इन प्रावधानों से उद्योगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले मौजूदा जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में ‘हरित हाइड्रोजन’ को बढ़ावा देने में सुविधा होगी।
  • प्रस्ताव में स्थायी आवास (Sustainable Habitat) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़े आवासीय भवनों को शामिल करने के लिए अधिनियम के दायरे का विस्तार करना भी शामिल है