गोंड जनजातीय समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा

  • 10 Jan 2023

24 दिसंबर, 2022 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 'संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2022' हस्ताक्षरित किया गया।

  • विधेयक के रूप में इसे 1 अप्रैल, 2022 को लोक सभा द्वारा तथा 14 दिसंबर, 2022 को राज्य सभा द्वारा पारित किया गया था।

मुख्य बिंदु

  • यह विधेयक उत्तर प्रदेश के 4 जिलों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने का प्रयास करता है।
  • विधेयक का उद्देश्य उत्तर प्रदेश के इन जिलों में गोंड समुदाय को अनुसूचित जाति की सूची (SC list) से अनुसूचित जनजाति की सूची (ST list) में स्थानांतरित करना है।
  • उत्तर प्रदेश के ये 4 जिले हैं- संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, कुशीनगर एवं चंदौली।
  • यह विधेयक निम्नलिखित आदेशों में संशोधन करता है:
    1. संविधान (अनुसूचित जनजाति) (उत्तर प्रदेश) आदेश, 1967
    2. संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश, 1950।

उत्तर प्रदेश की गोंड जनजाति

  • गोंड एक द्रविड़ जातीय-भाषाई समूह हैं। वे भारत के सबसे बड़े जनजातीय समूहों में से एक हैं।
  • गोंड जनजाति मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार और ओडिशा राज्यों में पाई जाती हैं।
  • 2001 की जनगणना के अनुसार गोंडों की जनसंख्या लगभग 11 मिलियन (1.1 करोड़) थी, जिसमें उत्तर प्रदेश में गोंडों की आबादी करीब पांच लाख थी।

अनुसूचित जनजाति की सूची में संशोधन करने की प्रक्रिया

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 (1) के तहत राष्ट्रपति के पास किसी जाति, नस्ल, जनजाति अथवा उसके समूह को चिन्हित करने की शक्ति है।
  • अनुच्छेद 342 (1) के अनुसार राष्ट्रपति, किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के राज्यपाल से सलाह के बाद एक अधिसूचना द्वारा, आदिवासी जाति या आदिवासी समुदायों या आदिवासी जातियों या आदिवासी समुदायों के भागों या समूहों को निर्दिष्ट कर सकते हैं, जो उस राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियाँ समझे जाएंगे।
  • अनुच्छेद 342 (2) के अनुसार संसद कानून के द्वारा धारा (1) में निर्दिष्ट अनुसूचित जनजातियों की सूची में किसी भी आदिवासी जाति या आदिवासी समुदाय के किसी भाग या समूह को शामिल कर या उसमें से निकाल सकती है।
  • इस प्रकार, किसी विशेष राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची में किसी समुदाय के नाम को शामिल या हटाना संबंधित राज्य सरकारों की सलाह के बाद, राष्ट्रपति के अधिसूचित आदेश द्वारा किया जाता है। ये आदेश तदनुपरांत केवल संसद की कार्रवाई द्वारा ही संशोधित किए जा सकते हैं।