घरेलू प्रवासी मतदाताओं हेतु रिमोट वोटिंग प्रणाली

  • 11 Jan 2023

29 दिसंबर, 2022 को चुनाव आयोग ने यह घोषणा की कि उसने घरेलू प्रवासी मतदाताओं के लिए 'रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन' (RVM) का एक प्रोटोटाइप विकसित किया है, ताकि इन प्रवासी मतदाताओं को मतदान करने के लिए अपने गृह राज्यों की यात्रा न करनी पड़े।

  • आयोग ने सभी मान्यताप्राप्त 8 राष्ट्रीय और 57 राज्यीय दलों को इस मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन करने के लिए 16 जनवरी, 2023 को आमंत्रित किया है।
  • निर्वाचन आयोग के अनुसार यह कदम देश में मतदान प्रतिशत (Voter Turnout) बढ़ाने तथा भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने में सक्षम होगा।

रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) क्या है?

  • मल्टी-कंस्टीट्यूएंसी रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (RVM) एक दूरस्थ स्थित (रिमोट) पोलिंग बूथ से ही 72 तक निर्वाचन क्षेत्रों का मतदान करा सकती है।
  • यह विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में सूचीबद्ध मतदाताओं को एक ही मशीन से मतदान के अधिकार का प्रयोग करने में सक्षम करेगी।
  • रिमोट ईवीएम एक स्टैंडएलोन डिवाइस होगी, जिसे संचालित करने के लिए कनेक्टिविटी की आवश्यकता नहीं होगी।
  • आरवीएम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) की सहायता से विकसित किया गया है।
  • यह वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले ईवीएम सिस्टम पर आधारित है।

प्रवासियों के मताधिकार से वंचित होने का मुद्दा

  • यद्यपि पंजीकृत मतदाताओं के मतदान में हिस्सा न लेने के कई कारण हैं, परन्तु भारतीय सन्दर्भ में इसका सबसे प्रमुख कारण व्यापक पैमाने पर होने वाला घरेलू प्रवासन (Domestic Migration) है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 45.36 करोड़ प्रवासी (अंतर्राज्यीय और अंतरराज्यीय दोनों) हैं, जो देश की आबादी का लगभग 37 प्रतिशत है।
  • अपने निर्वाचन क्षेत्र से दूर रहने वाला प्रवासी समुदाय, मतदान का इच्छुक होने के बावजूद विभिन्न चुनौतियों के चलते अपने निर्वाचन क्षेत्र में मतदान करने के लिए यात्रा करने में असमर्थ होता है।
  • इसका अर्थ यह है कि देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा काम की अनिवार्यता या यात्रा के लिए संसाधनों की कमी के कारण अपने मताधिकार से वंचित रहता है। यह सीधे तौर पर चुनाव आयोग के "कोई मतदाता पीछे न छूटे" (No voter left behind) के लक्ष्य के खिलाफ है।

RVM के जरिये मतदान की प्रक्रिया

  • मतदाता की पहचान सत्यापित करने के बाद, निर्वाचन क्षेत्र के विवरण तथा उम्मीदवारों को दर्शाने वाले सार्वजनिक डिस्प्ले (Public Display) के माध्यम से उनके निर्वाचन क्षेत्र के कार्ड को पढ़ा जाएगा।
  • इसे RVM के रिमोट बैलेट यूनिट (RBU) में लगे बैलेट यूनिट ओवरले डिस्प्ले (BUOD) पर निजी रूप से भी प्रदर्शित किया जाएगा।
  • इसके बाद मतदाता वोट देगा तथा प्रत्येक वोट को निर्वाचन क्षेत्रवार वोटिंग मशीन की कंट्रोल यूनिट में स्टोर किया जाएगा।
  • सम्भावना है कि वर्तमान में ईवीएम के साथ प्रयुक्त होने वाली वीवीपीएटी प्रणाली, नई तकनीक के साथ भी इसी तरह कार्य करेगी।

इस नवीन प्रणाली को अपनाने तथा इसे लागू करने में चुनौतियां

कानूनी चुनौतियां

  • मौजूदा चुनावी प्रणाली में RVM को पूरी तरह से अपनाने के लिए कुछ प्रमुख कानूनों/नियमों में संशोधन करना होगा। ये निम्नलिखित हैं:
    • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 एवं 1951
    • निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961
    • निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960
  • इसके अतिरिक्त प्रवासी मतदाता को परिभाषित करना भी चुनौती है; यह भी देखना होगा कि ये मतदाता मतदान के दिन अनुपस्थिति हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं।

प्रशासनिक चुनौतियां

  • रिमोट वोटरों की गणना करना;
  • रिमोट लोकेशनों पर मतदान की गोपनीयता सुनिश्चित करना;
  • रिमोट वोटिंग बूथों पर पोलिंग एजेंटों की व्यवस्था करना;
  • प्रतिरूपण से बचने के लिए मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करना;
  • रिमोट लोकेशनों (अन्य राज्य) में आदर्श आचार संहिता लागू करना।

प्रौद्योगिकीय चुनौतियां

  • रिमोट वोटिंग की पद्धति का निर्धारण;
  • मतदाताओं का परिवर्तित मतदान पद्धतियों तथा RVM की प्रौद्योगिकियों से परिचित होना;
  • रिमोट बूथों पर डाले गए मतों की गणना और उसे अन्य राज्यों में स्थित रिटर्निंग अधिकारी को प्रेषित करना।