सामयिक

राष्ट्रीय:

एनआरआई के लिए पोस्टल बैलेट

भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा है कि अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) के लिए पोस्टल बैलेट यानी डाक मत पत्र के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।

महत्वपूर्ण तथ्य: 9-10 अप्रैल, 2022 को दक्षिण अफ्रीका और मॉरीशस की यात्रा के दौरान, उन्होंने अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) से प्रवासी मतदाताओं (overseas electors) के रूप में पंजीकरण करने का आग्रह किया।

  • उन्होंने भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ साझा किया कि प्रवासी मतदाताओं के लिए इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम (Electronically Transmitted Postal Ballot System: ETPBS) सुविधा के विस्तार पर विचार किया जा रहा है।
  • एनआरआई समूहों के साथ बैठकों में, चंद्रा ने भारत में चुनाव कराने के अनुभव के बारे में बताया, जिसमें 10 लाख से अधिक मतदान केंद्रों में लगभग 95 करोड़ मतदाता हैं।
  • भारत निर्वाचन आयोग ने 2020 में विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रस्ताव दिया था कि एनआरआई को पोस्टल बैलेट के जरिए वोट देने की अनुमति दी जाए, जिसके बाद सरकार इस पर विचार कर रही है।
  • भारत निर्वाचन आयोग वर्तमान में एनआरआई को प्रवासी मतदाताओं के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति देता है, बशर्ते कि उन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता हासिल नहीं की हो; उन्हें मतदान के दिन व्यक्तिगत रूप से अपना वोट डालने के लिए अपने संबंधित मतदान केंद्रों पर पहुंचना होता है।
  • भारत निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी के अनुसार, अभी तक केवल 1.12 लाख पंजीकृत प्रवासी मतदाता हैं।

भारत में बच्चों की स्थिति पर पहली रिपोर्ट

नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया ने 21 अप्रैल, 2022 को बच्चों पर केन्द्रित सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के सम्बन्ध में एक आशय वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए हैं।

(Image Source: https://www.unicef.org/)

महत्वपूर्ण तथ्य: आशय वक्तव्य स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, सुरक्षा जैसे बाल विकास के बहुआयामी पहलुओं पर ध्यान देने के साथ 'भारत में बच्चों की स्थिति: बहुआयामी बाल विकास में स्थिति और रुझान' (State of India’s Children: Status and Trends in Multidimensional Child Development) विषय पर पहली रिपोर्ट तैयार करने के लिए सहयोग की रूपरेखा को औपचारिक रूप देने का प्रयास करता है।

  • नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया के बीच सहयोग 'भारत में बच्चों की स्थिति' पर पहली रिपोर्ट के लिए तरीके, तकनीकी विश्लेषण, रिपोर्टिंग और कार्य योजना तैयार करेगा।
  • ‘बच्चों की स्थिति का व्यापक सर्वेक्षण’ स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, सुरक्षित जल और स्वच्छता, बाल संरक्षण, सामाजिक सुरक्षा और जलवायु कार्रवाई के सन्दर्भ में बहु-क्षेत्रीय नीतियों और कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • यह प्रयास 2030 एजेंडा पर भारत की प्रतिबद्धताओं को साकार करने में योगदान देगा।

वाग्शीर

प्रोजेक्ट-75 की भारतीय नौसेना की कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों की छठी और आखिरी पनडुब्बी 'वाग्शीर' (Vagsheer) को मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) के कान्होजी आंग्रे वेट बेसिन में 20 अप्रैल, 2022 को लॉन्च किया गया।

(Image Source: https://www.business-standard.com/)

महत्वपूर्ण तथ्य: इसे केंद्रीय रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार की पत्नी वीणा अजय कुमार ने लॉन्च किया।

  • यह प्रोजेक्ट-75 (P-75) के तहत बनाई गई स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में से अंतिम है और समुद्री परीक्षण के बाद 12-18 महीनों के भीतर नौसेना के बेड़े में शामिल हो सकती है।

परियोजना: प्रोजेक्ट-75 पनडुब्बियों की दो पंक्तियों में से एक है, दूसरा प्रोजेक्ट 'पी-75आई' है, जो विदेशी फर्मों से ली गई तकनीक के साथ स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण के लिए 1999 में अनुमोदित योजना का हिस्सा है।

  • प्रोजेक्ट-75 के तहत छ: पनडुब्बियों का अनुबंध मझगांव डॉक को 6 अक्टूबर, 2005 को दिया गया था।
  • प्रोजेक्ट-75 के तहत, आईएनएस कलवरी,आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला को कमीशन किया गया है। पांचवीं पनडुब्बी 'वागीर' का समुद्री परीक्षण चल रहा है।

क्यों 'वाग्शीर'? वाग्शीर का नामकरण 'सैंड फिश' (sand fish) के नाम पर किया गया है, जो हिंद महासागर की एक गहरे समुद्र में रहने वाली शिकारी प्रजाति है।

  • रूस से प्राप्त वाग्शीर श्रेणी की पहली पनडुब्बी को दिसंबर 1974 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और अप्रैल 1997 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया था।
  • कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का डिजाइन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों पर आधारित है, जो डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का एक वर्ग है, जिसमें डीजल प्रणोदन और वायु-निर्भर प्रणोदन शामिल हैं।

भारत को मिले एस-400 प्रशिक्षण उपकरण

यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण रूस से ‘एस-400’ (S-400) की दूसरी खेप की डिलीवरी में देरी हो रही है। हालांकि एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के लिए सिमुलेटर और अन्य उपकरण प्राप्त हुए हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य: भारत ने दिसंबर 2021 में पहली एस-400 खेप प्राप्त की थी, जिनमें पांच खेप को रूस से अक्टूबर 2018 में हस्ताक्षरित 5.43 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत अनुबंधित किया गया था।

  • यह पहली इकाई पंजाब में तैनात की गई है और वर्तमान में परिचालन में है।
  • ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट’ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act: CAATSA) के तहत अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकी के बीच, भारत और रूस ने इस सौदे के लिए रुपया-रूबल विनिमय के माध्यम से भुगतान पर काम किया था।
  • दोनों पक्ष अब बड़े द्विपक्षीय व्यापार के लिए इसी तरह के भुगतान मार्ग तलाश रहे हैं।
  • चीन के पास भी यह 'एस-400 ट्रायम्फ' (S-400 Triumf) लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जिसे वर्तमान में भारत द्वारा शामिल किया जा रहा है।

एस-400 क्या है? इसे दुनिया में सबसे उन्नत और शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणालियों में से एक माना जाता है।

  • यह एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है।
  • 'एस-400 ट्रायम्फ’ ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट और यहां तक कि लड़ाकू जेट सहित लगभग सभी प्रकार के हवाई हमलों से बचाने में सक्षम है।
  • रूस 1993 से एस-400 विकसित कर रहा है। इसका परीक्षण 1999-2000 में शुरू हुआ और रूस ने इसे 2007 में तैनात किया था।

बिहार की 'साइक्लोपियन वॉल' के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल टैग की मांग

बिहार सरकार ने अप्रैल 2022 में 'साइक्लोपियन वॉल' (Cyclopean wall) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में सूचीबद्ध कराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को एक नया प्रस्ताव भेजा है।

(Image Source: https://tourism.bihar.gov.in/)

महत्वपूर्ण तथ्य: 40 किमी लंबी 'साइक्लोपियन वॉल', राजगीर में 2,500 साल से अधिक पुरानी संरचना है।

  • प्राचीन शहर 'राजगीर' को बाहरी दुश्मनों और आक्रमणकारियों से बचाने के लिए इस दीवार का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहले किया गया था।
  • माना जाता है कि राजगीर की साइक्लोपियन वॉल मौर्य पूर्व युग में एक साथ लगे हुए बड़े पैमाने पर अवांछित पत्थरों से निर्मित की गई थी।
  • ऐसा माना जाता है कि राजगीर में साइक्लोपियन वॉल 'फ्रंटियर्स ऑफ रोमन एम्पायर' (Frontiers of the Roman Empire) के समान है, जो जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम और उत्तरी आयरलैंड से होकर गुजरती है, जिसे 1987 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था।
  • बिहार राज्य से दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं और संभावित सूची में भी कुछ स्थल हैं।
  • 'नालंदा विश्वविद्यालय' बिहार में दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और इसे 2002 में सूचीबद्ध किया गया था। इसे नालंदा, बिहार में 'नालंदा महाविहार के पुरातत्व स्थल' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • राज्य में एक और प्राचीन स्मारक जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल किया गया है, वह है बोधगया का 'महाबोधि मंदिर'।

भारतीय नौसेना द्वारा स्वदेशीकरण के प्रयास

भारतीय नौसेना, विशेष रूप से हथियारों और विमानन संबंधी वस्तुओं में स्वदेशीकरण के प्रयासों को और तेज कर रहा है।

(Image Source: https://www.thehindu.com/)

महत्वपूर्ण तथ्य: भारतीय नौसेना ने दशकों पहले स्वदेशीकरण की दिशा में प्रारंभिक नेतृत्व किया था और 2014 में उपकरणों और प्रणालियों के स्वदेशी विकास को सक्षम करने के लिए 'भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना 2015-2030' को प्रख्यापित (promulgated) किया था।

  • यह रक्षा आयात में कटौती और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नीति के अनुरूप है।
  • अब तक, नौसेना ने भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना के तहत लगभग 3,400 वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया है, जिसमें 2,000 से अधिक मशीनरी और विद्युत पुर्जे, 1,000 से अधिक विमानन पुर्जे और 250 से अधिक हथियार शामिल हैं।
  • मौजूदा नौसेना उड्डयन स्वदेशीकरण रोडमैप (NAIR) 2019-22 भी संशोधन के अधीन है। संशोधित NAIR 2022-27 में सभी तेज गति वाले विमान अनिवार्य पुर्जे और उच्च लागत वाली स्वदेशी मरम्मत को शामिल किया जा रहा है।
  • नौसेना के विमानों के पुर्जों के स्वदेशीकरण को संभालने के लिए चार आंतरिक स्वदेशीकरण समितियों का गठन किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न स्थानों पर स्थित नौसेना संपर्क प्रकोष्ठों (Naval Liaison Cells) को 'स्वदेशीकरण प्रकोष्ठ' के रूप में नामित किया गया है।
  • वर्तमान में 41 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं, 39 भारत के शिपयार्ड में बनाए जा रहे हैं, जबकि सैद्धांतिक रूप से भारत में 47 जहाजों के निर्माण के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी मौजूद है।
  • अगस्त 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शुरू किया गया 'नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन' (NIIO) भारतीय नौसेना क्षमता विकास तंत्र के साथ शिक्षा और उद्योग के लिए एक सुलभ इंटरफेस प्रदान करता है।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (The Commonwealth Parliamentary Association: CPA) की मध्य वर्षीय कार्यकारी समिति की बैठक 9 अप्रैल, 2022 को गुवाहाटी में असम विधान सभा में आयोजित की गई।

(Image Source: https://www.hindustantimes.com/)

महत्वपूर्ण तथ्य: राष्ट्रमंडल के नौ भौगोलिक क्षेत्रों के बीच विभाजित 53 राष्ट्रमंडल देशों के क्षेत्रीय प्रतिनिधियों ने इस आयोजन में भाग लिया।

  • लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
  • इस कार्यक्रम के बाद 11 और 12 अप्रैल को असम विधान सभा में ‘आठवां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन’ (8th Commonwealth Parliamentary Association India Region Conference) भी आयोजित किया गया।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ: यह राष्ट्रमंडल में सबसे पुराने स्थापित संगठनों में से एक है। इसकी स्थापना 1911 में की गई थी।

  • इस संघ का मिशन विशेष रूप से राष्ट्रमंडल के देशों के संदर्भ में, संसदीय लोकतंत्र के संवैधानिक, विधायी, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं के ज्ञान को बढ़ावा देना है।
  • राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का मुख्यालय लंदन में स्थित है। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के कार्यवाहक अध्यक्ष, इयान लिडेल-ग्रिंगर (Ian Liddell-Grainger) हैं, जो यूनाइटेड किंगडम के सांसद हैं।

सीमा दर्शन परियोजना

सीमा दर्शन परियोजना (Seema Darshan project) के हिस्से के रूप में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 10 अप्रैल, 2022 को गुजरात के नडाबेट में भारत-पाकिस्तान सीमा दर्शन स्थल का लोकार्पण किया।

(Image Source: https://twitter.com/airnewsalerts)

महत्वपूर्ण तथ्य: नडाबेट उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले में भारत-पाक सीमा पर स्थित है।

  • नडाबेट सीमा दर्शन स्थल पंजाब के वाघा-अटारी बॉर्डर की तर्ज पर बनाया गया है।
  • यह बहुउद्देशीय पर्यटन परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में पूरी हुई।
  • सीमा दर्शन परियोजना का उद्देश्य लोगों को सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बल के कार्मिकों के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करना है।
  • सीमा दर्शन परियोजना गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग और बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर की एक संयुक्त पहल है।
  • सीमा दर्शन परियोजना के तहत 125 करोड़ रुपये की लागत से सभी प्रकार की पर्यटन सुविधाओं और अन्य विशेष आकर्षणों का विकास किया गया है।

मुख्य आकर्षण: इसके प्रमुख आकर्षणों में से एक बीएसएफ सैनिकों द्वारा दैनिक परेड होगी।

  • राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों की स्मृति में 'अजय प्रहरी' नामक एक स्मारक बनाया गया है।
  • पर्यटक नडाबेट में भारतीय सेना और बीएसएफ के विभिन्न हथियारों जैसे सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टी-55 टैंक, आर्टिलरी गन, टॉरपीडो, विंग ड्रॉप टैंक और मिग-27 विमान भी देख सकेंगे।

राष्ट्रीय महिला आयोग ने किया मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ का शुभारंभ

राष्ट्रीय महिला आयोग ने 2 अप्रैल, 2022 को मानव तस्करी रोधी प्रकोष्ठ (nti-Human Trafficking Cell) का शुभारंभ किया।

(Image Source: https://twitter.com/ncwindia/)

उद्देश्य: मानव तस्करी के मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने में सुधार करना, महिलाओं और लड़कियों के बीच जागरूकता बढ़ाना, मानव-तस्करी रोधी इकाइयों के क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण में वृद्धि करना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जवाबदेही बढ़ाना।

महत्वपूर्ण तथ्य: प्रकोष्ठ कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच जागरूकता बढ़ायेगा और उनकी क्षमता निर्माण को सुविधाजनक बनाएगा।

  • यह प्रकोष्ठ क्षेत्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पुलिस अधिकारियों और अभियोजकों को लैंगिक समानता के प्रति संवेदनशील बनाने और मानव-तस्करी से निपटने में सक्षम करने के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
  • आयोग को मिलने वाली मानव-तस्करी से संबंधित शिकायतों का समाधान इस प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा।
  • प्रकोष्ठ तस्करी की रोकथाम और पीड़ितों के पुनर्वास के लिए अपनाए जा रहे उपायों के संबंध में सरकारी एजेंसियों को प्रोत्साहित करेगा।

राष्ट्रीय महिला आयोग: राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत जनवरी 1992 में एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी।

  • यह महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करने के साथ ही उनकी शिकायतों के निवारण की सुविधा प्रदान करता है।
  • राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रथम अध्यक्ष जयंती पटनायक थीं। राष्ट्रीय महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्ष रेखा शर्मा हैं।

मेघालय का 'लिविंग रूट ब्रिज' यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में

मेघालय में लोगों और प्रकृति के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वानस्पतिक संबंधों को उजागर करते 70 से अधिक गांवों में पाए जाने वाले ‘लिविंग रूट ब्रिज’ (Living Root Bridges) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची (tentative list) में शामिल किया गया है।

(Image Source: https://twitter.com/IndEmbMoscow)

महत्वपूर्ण तथ्य: ग्रामीण लगभग 10 से 15 वर्षों की अवधि में जल निकायों के दोनों किनारों पर ‘फिकस इलास्टिका' (ficus elastica) पेड़ की जड़ों से ‘लिविंग रूट ब्रिज’ को तैयार करते हैं।

  • लिविंग रूट ब्रिज को स्थानीय रूप से 'जिंगकिएंग जरी' (jingkieng jri) के रूप में जाना जाता है।
  • ये मेघालय के दक्षिणी भाग में बहुत आम हैं, जहां खासी और जयंतिया जनजातियों के ग्रामीण इन्हें तैयार करते हैं।
  • वर्तमान में, राज्य के 72 गांवों में फैले लगभग 100 ज्ञात लिविंग रूट ब्रिज हैं।
  • 2021 में रूट-ब्रिज पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें वैज्ञानिकों ने ऑर्किड, उभयचर और स्तनधारियों की अनूठी प्रजातियों के अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए, जो इन रूट-ब्रिज पर पाए जा सकते हैं।
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