सामयिक
राष्ट्रीय:
फोर्टिफाइड चावल
8 अप्रैल, 2022 को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2024 तक चरणबद्ध तरीके से विभिन्न योजनाओं के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System: TPDS) के माध्यम से फोर्टिफाइड (पोषणयुक्त) चावल की आपूर्ति के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।
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महत्वपूर्ण तथ्य: भारत सरकार की इन योजनाओं में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, एकीकृत बाल विकास सेवाएं, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण (पूर्व नाम- मध्याह्न भोजन योजना) और अन्य कल्याणकारी योजनाएं शामिल हैं।
- चावल के फोर्टिफिकेशन की पूरी लागत (लगभग 2,700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) जून 2024 तक इसके पूर्ण कार्यान्वयन होने तक खाद्य सब्सिडी के हिस्से के रूप में भारत सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
- इस पहल के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए तीन चरणों की परिकल्पना की गई है-
- चरण- I: मार्च 2022 तक पूरे देश में एकीकृत बाल विकास सेवाओं और पीएम पोषण को कवर किया जाएगा।
- चरण- II: उपरोक्त चरण I के साथ-साथ मार्च 2023 तक सभी आकांक्षी और स्टंटिंग की समस्या से व्यापक रूप से प्रभावित कुल 291 जिलों में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और अन्य कल्याणकारी योजनाओं को कवर किया जाएगा।
- चरण-III: उपरोक्त चरण II के साथ-साथ मार्च 2024 तक देश के शेष जिलों को कवर किया जाएगा।
पृष्ठभूमि: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2021) पर अपने संबोधन में चावल के फोर्टिफिकेशन पर घोषणा की थी ताकि हर गरीब व्यक्ति को पोषण प्रदान किया जा सके।
- इससे पहले, 2019-20 से ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत चावल के फोर्टिफिकेशन और इसके वितरण’ पर केंद्र प्रायोजित प्रायोगिक योजना को 3 साल की अवधि के लिए लागू किया गया था।
मिशन वात्सल्य योजना
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘मिशन वात्सल्य योजना’ के लिए अपने मसौदा दिशा-निर्देश राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को भेजे हैं और 18 अप्रैल, 2022 तक सुझाव मांगे हैं।
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महत्वपूर्ण तथ्य: मिशन वात्सल्य का उद्देश्य भारत में प्रत्येक बच्चे के लिए एक स्वस्थ और खुशहाल बचपन सुनिश्चित करना है।
- केंद्र सरकार की परित्यक्त या लापता (abandoned or missing) बच्चों जैसे कमजोर बच्चों की सुरक्षा के लिए निजी क्षेत्र और स्वयंसेवी समूहों के साथ भागीदारी करने की योजना है।
- मिशन वात्सल्य में बाल संरक्षण सेवाओं नामक एक पूर्व-मौजूदा योजना का नाम बदला गया है और इसमें बाल कल्याण सेवाएं भी शामिल हैं।
- मिशन वात्सल्य के तहत घटकों में सांविधिक निकाय; सेवा वितरण ढांचा; संस्थागत देखभाल/सेवाएं; गैर-संस्थागत समुदाय आधारित देखभाल; आपातकालीन आउटरीच सेवाएं; प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण शामिल होंगे।
- यह बाल संरक्षण कार्यक्रम 18 वर्ष की आयु के बाद बाल देखभाल संस्थानों में बच्चों के लिए देखभाल कार्यक्रम और चाइल्डलाइन या बच्चों के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 1098 के माध्यम से आपातकालीन आउटरीच सेवा का भी समर्थन करता है।
- मिशन की सफलता के लिए नागरिक समाज, जनसमूहों और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों को मिशन वात्सल्य के तहत व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।
- मंत्रालय ने स्वयंसेवकों के पंजीकरण हेतु एक ‘वात्सल्य पोर्टल’ भी प्रस्तावित किया है ताकि राज्य और जिला प्राधिकरण उन्हें विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए शामिल कर सकें।
असम-मेघालय सीमा समझौता
असम और मेघालय ने अपनी 885 किलोमीटर की सीमा के साथ 12 सेक्टरों में से छ: में 50 साल पुराने सीमा विवाद को आंशिक रूप से हल कर लिया है।
- महत्वपूर्ण तथ्य: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने छ: विवादित क्षेत्रों पर एक ‘ऐतिहासिक’ समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिन्हें पहले चरण में समाधान के लिए लिया गया था।
- नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में 29 मार्च, 2022 को समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
- ये छ: विवादित क्षेत्र असम के कामरूप, कामरूप (मेट्रो) और कछार जिलों और मेघालय के पश्चिम खासी हिल्स, री-भोई और पूर्वी जयंतिया हिल्स जिलों के तहत ताराबारी, गिजांग, हाहिम, बोकलापारा, खानापारा-पिलंगकाटा और रातचेरा हैं।
- विवादित 36.79 वर्ग किमी भूमि में से असम को 18.51 वर्ग किमी विवादित क्षेत्र और मेघालय को शेष 18.28 वर्ग किमी भूमि मिलेगी।
- समझौते पर हस्ताक्षर के साथ ही अंतर-राज्यीय सीमा का लगभग 70% अब विवाद मुक्त हो गया है।
मतुआ समुदाय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 मार्च, 2022 को श्री श्री हरिचंद ठाकुर की 211वीं जयंती के अवसर पर पश्चिम बंगाल के श्रीधाम ठाकुरनगर, ठाकुरबाड़ी में मतुआ धर्म महा मेला 2022 को संबोधित किया।
महत्वपूर्ण तथ्य: हरिचंद ठाकुर का जन्म 1812 में बांग्लादेश के ओरकांडी में ठाकुर समुदाय (एससी समुदाय) के एक किसान किसान परिवार में हुआ था। ठाकुर (जिनका परिवार वैष्णव हिंदू था) ने 'मतुआ' नामक वैष्णव हिंदू धर्म के एक संप्रदाय की स्थापना की।
- मतुआ समुदाय के सदस्य बंगाल सीमा के दोनों ओर हैं। यह 1860 के दशक में हरिचंद ठाकुर द्वारा शुरू किए गए एक धार्मिक आंदोलन से जुड़ा है।
- मतुआ पश्चिम बंगाल की दूसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जाति आबादी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य में इस समुदाय के मतदाताओं की संख्या लगभग 17% है।
- मतुआ धर्म महा मेला 2022 का आयोजन अखिल भारतीय मतुआ महासंघ द्वारा 29 मार्च से 5 अप्रैल, 2022 तक किया जा रहा है।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में आत्महत्या दर
लोक सभा में गृह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के 156 कर्मियों ने 2021 में आत्महत्या की है, जो लगभग एक दशक में सबसे अधिक है।
महत्वपूर्ण तथ्य: सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, बीएसएफ, एनएसजी और असम राइफल्स जैसे विभिन्न सुरक्षा बलों वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विभिन्न आंतरिक सुरक्षा और सीमा सुरक्षा कर्तव्यों हेतु तैनात किया जाता है।
- 2012 से, आत्महत्या करने वाले सीएपीएफ कर्मियों की कुल संख्या 1,205 थी।
- कोविड महामारी से प्रेरित लॉकडाउन के वर्षों में इसमें तेज वृद्धि देखी गई, जिसमें2020 और 2021 मेंक्रमशः 143 और 156कर्मियों ने आत्महत्या की।
आधारभूत शिक्षण अध्ययन
23 से 26 मार्च, 2022 तक देश भर में कक्षा 3 के एक लाख छात्रों ने आधारभूत शिक्षण अध्ययन (foundational learning study) में भाग लिया।
उद्देश्य: प्रारंभिक स्कूली वर्षों में साक्षरता और संख्यात्मक गणना में सुधार के लिए केंद्र के निपुण भारत मिशन के लिए एक आधार तैयार करने हेतु कक्षा-3 के छात्रों की बुनियादी शिक्षा का व्यापक पैमाने पर मूल्यांकन करना।
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महत्वपूर्ण तथ्य: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा किए गए इस अध्ययन का उद्देश्य 22 भारतीय भाषाओं में समझ के साथ पढ़ने से संबंधित मानक स्थापित करना है।
- इस अध्ययन में लगभग 10,000 स्कूलों और एक लाख छात्रों ने हिस्सा लिया।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार "पढ़ने और लिखने की क्षमता तथा संख्याओं के साथ बुनियादी गणना करने की क्षमता", भविष्य की स्कूली शिक्षा और आजीवन सीखने के लिए एक आवश्यक आधार और एक अनिवार्य शर्त है।
- शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (Annual Status of Education Report: ASER) सहित गैर-सरकारी सर्वेक्षणों से पता चला है कि देश भर के ग्रामीण स्कूलों में कक्षा 3 के अधिकांश बच्चों में ये बुनियादी कौशल नहीं हैं।
- वर्ष 2021 में शिक्षा मंत्रालय ने 2026-27 तक कक्षा 3 तक के बच्चों के लिए सार्वभौमिक साक्षरता और संख्या गणना सुनिश्चित करने के लिए 'समझ के साथ पढ़ने तथा संख्या गणना में निपुणता के लिए राष्ट्रीय पहल' (निपुण भारत) (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy) का शुभारंभ किया था।
बिप्लोबी भारत गैलरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च, 2022 को शहीद दिवस के अवसर पर विक्टोरिया मेमोरियल हॉल, कोलकाता में बिप्लोबी भारत गैलरी (Biplobi Bharat Gallery) का उद्घाटन किया।
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महत्वपूर्ण तथ्य: यह गैलरी स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के योगदान और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के लिए उनके सशस्त्र प्रतिरोध को प्रदर्शित करती है।
- इस नई गैलरी का उद्देश्य 1947 तक की घटनाओं का समग्र दृष्टिकोण प्रदान करना और क्रांतिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है।
- बिप्लोबी भारत गैलरी उस राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि को दर्शाती है, जिसने क्रांतिकारी आंदोलन को गति दी।
- यह क्रांतिकारी आंदोलन की शुरुआत, क्रांतिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण संघों के गठन, आंदोलन के प्रसार, इंडियन नेशनल आर्मी के गठन, नौसेना विद्रोह के योगदान आदि को प्रदर्शित करती है।
कोविड से हुई मौतों पर मुआवजे का दावा
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड से संबंधित मौतों पर मुआवजे के दावे के आवेदन की सीमा तय कर दी है।
महत्वपूर्ण तथ्य: 20 मार्च, 2022 से पहले हुई मौतों के लिए 60 दिन और भविष्य में होने वाली मौतों के मामले में मौत से 90 दिनों के भीतर मुआवजे के लिए आवेदन करना होगा।
- राज्यों को आवेदनों को संसाधित कर 30 दिनों के भीतर प्रत्येक मौत के लिए 50,000 रुपए का भुगतान करना होगा।
- अदालत ने भारत संघ/राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण/संबंधित राज्यों को मानवता को ध्यान में रखते हुए और कोविड-19 के कारण अपने परिवार के सदस्यों को खोने वाले परिवारों को अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश देते हुए आदेश पारित किया।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया है कि वह कोविड-19 से मरने वालों के परिवारों को अनुग्रह राशि देने के लिए दायर किए गए झूठे दावों की जांच करे और उनका पता लगाए।
- फर्जी दावा करने वालों को आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 52 के तहत कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। प्रावधान में दो साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
- अदालत ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से केंद्र को आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल और महाराष्ट्र में किए गए दावा आवेदनों में से 5% की जांच करने का आदेश दिया है।
भारत टीबी रिपोर्ट 2022
24 मार्च, 2022 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ‘भारत टीबी रिपोर्ट 2022’ (India TB Report 2022) के अनुसार भारत ने पिछले वर्ष की तुलना में 2021 में तपेदिक के मामलों में 19% की तेज वृद्धि दर्ज की है।
(Image Source: https://www.umu.se/)
महत्वपूर्ण तथ्य: 2020 में 16,28,161 टीबी रोगियों के मुकाबले 2021 के दौरान अधिसूचित टीबी रोगियों (नए और पुराने) की कुल संख्या 19,33,381 है।
- सरकार ने 2025 तक भारत को तपेदिक मुक्त बनाने की प्रतिबद्धता की है, जिसे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और उन्नत उपचार तक पहुंच सुनिश्चित करके हासिल किया जाएगा।
- सरकार ने राष्ट्रीय टीबी प्रसार सर्वेक्षण रिपोर्ट भी जारी की है, जो टीबी के वास्तविक रोग प्रसार को जानने के लिए 2019 से 2021 तक आयोजित की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार 2019 और 2020 के बीच टीबी के सभी रूपों के कारण मृत्यु दर में 11% की वृद्धि हुई है।
फुफ्फुसीय तपेदिक: सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत में 15 साल और उससे अधिक आयु वर्ग में माइक्रोबायोलॉजिकल रूप से पुष्ट की गई फुफ्फुसीय तपेदिक (Pulmonary Tuberculosis: PTB) की व्यापकता 316 / लाख आबादी थी।
- इसमे दिल्ली में 534 / लाख आबादी के साथ सर्वाधिक PTB मामले और केरल में 115 / लाख आबादी के साथ सबसे कम PTB मामले थे।
- वृद्धावस्था समूहों, पुरुषों, कुपोषित, धूम्रपान करने वालों, शराबियों और ज्ञात मधुमेह रोगियों में उच्च PTB प्रसार देखा गया।
अन्य तथ्य: वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत में 2020 में टीबी के सभी रूपों के अनुमानित मामले प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 188 थे।
अपशिष्ट निपटान बुनियादी ढांचा
23 मार्च, 2022 को 'जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट' लोक सभा में पेश की गई।
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महत्वपूर्ण तथ्य: इस रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचा प्राप्त करने वाले केवल 12% गांवों ने स्वच्छ भारत मिशन के दूसरे चरण के तहत अपना लक्ष्य हासिल किया है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन बुनियादी ढांचे का कार्यान्वयन भी लक्ष्य से पीछे रह गया है, जिसमें 7 फरवरी तक लक्षित गांवों के केवल 22% को 2021-22 के दौरान कवर किया गया था।
- अपने पहले चरण में, स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य हर ग्रामीण परिवार में शौचालय उपलब्ध कराना था और 2019 में इस लक्ष्य को हासिल करने का दावा किया गया है।
- हालांकि, दूसरा चरण, जिसमें अधिक जटिल समुदाय-स्तरीय बुनियादी ढांचा शामिल है, लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं हो पाया है।
- दूसरा चरण ठोस कचरे के संग्रह और पृथक्करण की सुविधाओं, बायोडिग्रेडेबल कचरे के लिए कम्पोस्ट गड्ढे और बायोगैस संयंत्र, ग्रेवाटर प्रबंधन, सोख्ता गड्ढे और मल कीचड़ के उपचार पर केन्द्रित है।
जल जीवन मिशन: समिति ने जल जीवन मिशन में कम धन के उपयोग का भी जिक्र किया है।
- बजट में जल जीवन मिशन के लिए 50,011 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, लेकिन योजना के लिए संशोधित अनुमानों को घटाकर 45,011 करोड़ रुपए कर दिया गया था।
- अब तक योजना के लिए किया गया वास्तविक व्यय केवल 28,238 करोड़ रुपए है।
- अभी तक केवल तीन राज्यों - हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय ने केंद्र से अपने आवंटन का पूरी तरह से उपयोग किया है।