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प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता अनुच्छेद 21
प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता अनुच्छेद 21 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता: अनुच्छेद 21 में घोषणा की गई है कि किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा अन्यथा नहीं। यह अधिकार नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों के लिये उपलब्ध है।
- प्राण या दैहिक स्वतंत्रता में अधिकार के कई प्रकार है- इसमें ‘प्राण के अधिकार’ को शारीरिक बंधनों में नहीं बाँधा गया है बल्कि इसमें मानवीय सम्मान और इनसे जुड़े अन्य पहलुओं को भी रखा गया है।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित है/हैं?
A |
केवल 1 और 2
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B |
केवल 2
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C |
केवल 2 और 3
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D |
1, 2 और 3
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Your Ans is
Right ans is C
Explanation :
- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्यों से संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत खेलों को स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकार बनाने की सिफारिश करने वाली एक रिपोर्ट का जवाब देने को कहा है।
- इसके अलावा न्यायालय के न्याय मित्र (Court’s Amicus Curiae) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि "संकीर्ण" शब्दावली 'खेल' को 'शारीरिक साक्षरता' से बदल दिया जाए, यह ऐसा शब्द है जो "विश्व के अग्रणी खेल राष्ट्रों में दृढ़ता से एक अधिकार के रूप में स्थापित है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्रदान करता है। इसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।
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