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झूम खेती
हाल ही में, नीति आयोग ने सरकार को "झूम खेती" पर नीति को सुव्यवस्थित करने के लिए कहा है। 'झूम खेती' के सम्बंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
I. झूम खेती आमतौर पर गंगा, यमुना इत्यादि के बाढ़ के मैदानों में जनजातीय लोगों द्वारा की जाती है, लेकिन यह पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त नहीं है।
II. इसे असम में झूम, आंध्र प्रदेश में पोडू और केरल में पोनम कहा जाता है।
नीचे दिए गए कूट से सही कथन का चयन करें:
A |
केवल I
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B |
केवल II
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C |
I और II दोनों
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D |
न तो I और न ही II
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Explanation :
झूम खेती आमतौर पर जनजातीय लोगों द्वारा पहाड़ी इलाकों की जमीनों पर की जाती है, इसलिए कथन-I गलत है। इस प्रकार की कृषि में वन भूमि के सभी हिस्सों में से पहले पेड़ों को काटकर गिराया जाता है और फिर उसकी शाखाओं और तनों को जलाकर साफ़ किया जाता है। भूमि को पूर्ण रूप से साफ करने के बाद, फसलों को दो से तीन साल तक उगाया जाता है और फिर भूमि को त्याग दिया जाता है क्योंकि मिट्टी की उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। किसान फिर नए क्षेत्रों में जाते हैं और वही प्रक्रिया दोहराई जाती है। इस प्रकार की खेती में आमतौर पर सूखा धान, मक्का, बाजरा और सब्जियां उगाई जाती हैं। इसे स्थानीय रूप से असम में झूम, आंध्र प्रदेश में पोडू और केरल में पोनम कहा जाता है। अतः कथन -II सही है।
स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस
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