तटीय निर्यात अवसंरचना


प्रश्नः देश में तटीय क्षेत्र में निर्यात अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा क्या कोई उपाय किए जा रहे हैं_ यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है_ क्या निर्यात की वस्तुओं से संबंधित प्रक्रियागत पहलू सर्वोत्तम वैश्विक प्रचालनों के अनुरूप हैं?

(पिनाकी मिश्रा द्वारा लोकसभा में पूछा गया तारांकित प्रश्न)

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल द्वारा दिया गया उत्तरः भारत सरकार की अवसंरचना के विकास के लिए अनेक क्षेत्र विशिष्ट स्कीमें हैं जिसमें देश में तटीय क्षेत्र भी शामिल हैं। कुछ फ्रलैगशिप स्कीमें नीचे उल्लिखित हैं-

सागर माला कार्यक्रम

सागर माला कार्यक्रम का निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित है-

क) पत्तन आधुनिकीकरण और नव पत्तन विकासः मौजूदा पत्तनों की बाधाओं को दूर करना और क्षमता का विस्तार करना तथा नवीन ग्रीनफील्ड पत्तनों का विकास करना।
ख) पत्तन संपर्क में वृद्धिः भीतरी क्षेत्र में पत्तन की कनेक्टिविटी में वृद्धि करना, घरेलू जलमार्ग (अंतर्देशीय जल परिवहन और राष्ट्रीय नौवहन) सहित बहु मॉडल लॉजिस्टिक समाधानों के माध्यम से कार्गो की आवाजाही की लागत और समय में कमी लाना।
ग) पत्तन संबंधित औद्योगिकीकरणः एक्सिम तथा घरेलू कार्गो की लॉजिस्टिक लागत और समय में कमी लाने के लिए पत्तन के निकट औद्योगिक समूहों तथा तटीय आर्थिक क्षेत्र का विकास करना।
घ) तटीय समुदाय विकासः कौशल विकास एवं आजीविका सृजन गतिविधियों, मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन इत्यादि के माध्यम से तटीय समुदाय के सतत विकास को प्रोत्साहन देना।

भारतमाला परियोजना

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रलय की भारतमाला परियोजना (चरण-1) के अंतर्गत लगभग 9000 किलोमीटर के आर्थिक कॉरिडोर, लगभग 6000 किलोमीटर के अंतर-कॉरिडोर और फीडर सड़कें, लगभग 5000 किलोमीटर के राष्ट्रीय कॉरिडोर, लगभग 2000 किलोमीटर की सीमा और अंतरराष्ट्रीय संपर्क सड़कें, लगभग 2000 किलोमीटर की तटीय और पत्तन संपर्क सड़कें, लगभग 800 किलोमीटर के एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) के अंतर्गत लगभग 10000 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण किया गया है। फरवरी 2020 तक भारतमाला परियोजना के तटीय और पत्तन संपर्क सड़क घटक के अंतर्गत लगभग 168 किलोमीटर की कुल औसत लंबाई तक फैली हुई 6 सड़क परियोजनाओं को लगभग 1842 करोड़ रुपये की लागत से अवार्ड की गई हैं।
  • विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, 2020 की रिपोर्ट के अनुसार सीमा पार व्यापार पर भारत की नवीनतम रैंकिंग वर्ष 2016 की 133 से बढ़कर वर्ष 2020 में 68 हो गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि के दौरान निर्यातों-आयातों के लिए सीमा अनुपालन में लगने वाले समय में महत्वपूर्ण रूप से सुधार हुआ है।
  • वस्तुओं के निर्यात के लिस पत्तन प्रचालन प्रक्रियाओं को साधारण, प्रयोक्ता अनुकूल पत्तन औपचारिकताओं वाली सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों के समान रखा गया है।
  • भारतीय सीमा शुल्क इलेक्ट्रॉनिक गेटवे (आइसगेट) विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के मध्य आंतरिक सहसंबंधों और अन्य पद्धतियों ने ऑनलाइन प्रोसेस करने के लिए सीमाशुल्क निकासी को सुविधाजनक बना दिया है। भारत व्यापार सुगमीकरण संबंधी करार के लिए भी हस्ताक्षरकर्ता है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ आयात-निर्यात और परिवहन से संबंधित औपचारिकताएं भी शामिल हैं।