स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में विकास तथा निवेश


प्रश्नः क्या देश का स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है और व्यापक निवेश भी आकर्षित कर रहा है_ यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है? स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में समग्र/संपूर्ण प्रगति के लिये सरकार द्वारा उठाये गये कदमों का ब्यौरा क्या है?

(छतर सिंह दरबार एवं मनसुखभाई धनजीभाई वसावा द्वारा लोकसभा में पूछे गये तारांकित प्रश्न)

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा विद्युत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर-के- सिंह द्वारा दिया गया उत्तरः जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुसार अभिप्रेत राष्ट्रीय निर्धारित योगदान के भाग के रूप में भारत ने वर्ष 2030 तक अपनी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता का कम से कम चालीस प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित स्रोतों से स्थापित करने की प्रतिबद्धता की है।

विगत 6 वर्षों के दौरान देश में स्थापित संचयी स्वच्छ ऊर्जा क्षमता 80-8 गीगावाट से करीब 72 प्रतिशत बढ़कर 138-9 गीगावाट हो गई है। क्षेत्र-वार क्षमतावर्धन और वृद्धि निम्नानुसार हैः

क्षेत्र

स्थापित क्षमता (गीगावाट)

वृद्धि

31-03-2014 की स्थिति के अनुसार

29-02-2020 की स्थिति के अनुसार

i.

अक्षय विद्युत (25 मेगावाट से अधिक की बड़ी पन बिजली को छोड़कर)

35.3

86.8

144%

सौर विद्युत

2.6

34.4

1208%

पवन विद्युत

21.0

37.7

79%

बायोमास, लघु पन बिजली और अपशिष्ट से ऊर्जा

11.9

14.7

24%

ii.

बड़ी पन बिजली

40.5

45.4

12%

iii.

परमाणु

4.8

6.8

42%

कुल

80.8

138.9

72%

  • वर्तमान में अतिक्ति 62.4 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा क्षमता कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में है और 34.07 गीगावाट क्षमता बोली प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में है। वैश्विक तौर पर भारत अक्षय विद्युत क्षमता के मामले में तीसरे, पवन विद्युत क्षमता के मामले में चौथे और सौर विद्युत की स्थापित क्षमता के मामले में पांचवें स्थान पर है।
  • वर्ष 2014-2019 की अवधि के दौरान भारत में लगभग 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर का स्वच्छ ऊर्जा निवेश हुआर् इसी अवधि के दौरान भारतीय स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में 6.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ। देश में परमाणु विद्युत और कुछ बड़ी पन-बिजली परियोजनाओं को छोड़कर अधिकतर स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना निजी क्षेत्र द्वारा की गई है।
  • भारत सरकार ने देश में स्वच्छ ऊर्जा के विकास और उसकी संस्थापना में तेजी लाने के लिए विभिन्न वित्तीय, नीतिगत और विनियामक उपाय किये हैं। इनमें शामिल हैं-
  1. वर्ष 2021-22 तक अक्षय खरीद बाध्यता की अधिसूचना_
  2. टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के माध्यम से सौर और पवन विद्युत की खरीद के लिए दिशानिर्देशों की अधिसूचना_
  3. 31 दिसंबर, 2022 तक चालू की जाने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन विद्युत की अन्तर-राज्य बिक्री के लिए अन्तर-राज्य पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) प्रभारों और नुकसानों को माफ करना_
  4. भुगतान सुरक्षा तंत्र तैयार करना_
  5. ताप विद्युत केन्द्रों के उत्पादन और शिड्युलिंग को अनुकूल बनाने का प्रावधान_
  6. अक्षय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी को समाहित करने के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर का कार्यान्वयन_
  7. अक्षय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी को समाहित करने के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर का कार्यान्वयन_
  8. पन-बिजली खरीद बाध्यता की अधिसूचना_
  9. पवन-सौर हाईब्रिड नीति की अधिसूचना_
  10. पवन विद्युत परियोजनाओं को सशक्त बनाने के लिए नीति की अधिसूचना_
  11. प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम कुसुम), सौर रूफटॉप योजना चरण-प्प्, सरकारी उत्पादक या सीपीएसयू योजना चरण-प्प्, और अल्ट्रा मेगा सौर पार्क योजना जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन_
  12. आटोमैटिक रूट के अंतर्गत 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देने के लिए प्रावधान_
  13. सौर फोटोवोल्टैक प्रणाली/उपकरण लगाने के लिए मानकों की अधिसूचना।