ई-अपशिष्ट


प्रश्नः क्या देश में ई-अपशिष्ट प्रति वर्ष तेजी से बढ़ रहा है_ क्या सरकार के पास ई-अपशिष्ट के निपटान हेतु कोई योजना है और यदि हां, तो तत्संबंधी राज्य-वार ब्यौरा क्या है?

(ओम पवन राजेनिंबालकर द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार, ई-अपशिष्ट का प्रति वर्ष सृजन बढ़ रहा है। सरकार द्वारा ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियमावली, 2016 के तहत, देश भर में अपशिष्ट सृजन को सूचीबद्ध करने के प्रावधान किए गए हैं। उक्त नियमों के तहत, ई-अपशिष्ट के सृजन की सूची तैयार करने की जिम्मेदारी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (SPCBs) और प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCCs) को सौंपी गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सूचना के अनुसार अब तक सात राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों नामतः गोवा, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब द्वारा ई-अपशिष्ट के सूचीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है।

  • ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियमावली, 2016 दिनांक 1 अक्टूबर, 2016 से लागू है। तदनुसार, सीपीसीबी ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 21 प्रकार के अधिसूचित इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (EEE) के बिक्री आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर ई-अपशिष्ट के सृजन का आकलन किया है। वित्तीय वर्ष 2017-2018, वित्तीय वर्ष 2018-2019 और वित्तीय वर्ष 2019-2020 के दौरान ई-अपशिष्ट के सृजन का अनुमान निम्नवत दिया गया हैः
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए, 21 प्रकारों के विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (ईईई) के लिए ई-अपशिष्ट का अनुमानित सृजन 7,08,445 टन है। यह 244 उत्पादकों के विक्रय डेटा पर आधारित है।
  • वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, 21 प्रकारों के विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (ईईई) के लिए ई-अपशिष्ट का अनुमानित सृजन 7,71,215 टन है। यह 1168 उत्पादकों के विक्रय आंकड़ों पर आधारित है।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए, 21 प्रकारों के विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (ईईई) के लिए ई-अपशिष्ट का अनुमानित सृजन 10,14,961.2 टन है। यह 1380 उत्पादकों के विक्रय आंकड़ों पर आधारित है।
  • पर्यावरणीय दृष्टि से उचित प्रकार से ई-अपशिष्ट के निपटान के लिए सरकार ने ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियमावली, 2016 अधिसूचित की है। विनियमों का अभिप्राय ऐसे सभी अपेक्षित कदमों को उठाना है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ई-अपशिष्ट प्रबंधन इस प्रकार से किया जाए, जो ऐसे अपशिष्ट के परिणामस्वरूप किसी प्रतिकूल प्रभाव से स्वास्थ्य और पर्यावरण को संरक्षित कर सके। उक्त नियमावली के तहत, ईईई के उत्पादकों को विस्तृत उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) के सिद्धांत के अंतर्गत ई-अपशिष्ट के एकत्रण और पर्यावरण के अनुकूल उचित के लिए प्रबंधन और उपभोक्ताओं और बड़ी मात्र में उपभोक्ताओं में जागरूकता उत्पन्न करने का उत्तरदायित्व दिया गया है। उक्त नियमावली में ई-अपशिष्ट के पर्यावरणीय दृष्टि से उचित एकत्रण, ढुलाई, भण्डारण, विघटन और पुनःचक्रण का प्रावधान है।