कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव


जलवायु परिवर्तन अखिल भारतीय औसत तापमान में वृद्धि और पिछले तीन दशकों में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की आवृत्ति में वृद्धि के कारण बोधगम्य है।

  • जलवायु सहनीय कृषि में राष्ट्रीय नवाचारों (National Innovations in Climate Resilient Agriculture- NICRA) के तहत भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन किया गया था।
  • भारत में वर्षा आधारित चावल की पैदावार 2050 और 2080में मामूली (2.5% से कम)और सिंचित चावल की पैदावार के 2050 में 7%और 2080 परिदृश्यों में 10%तक रहने का अनुमान है। गेहूं की उपज 2100 में 6-25%तक कम होने का अनुमान है।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भारतीय कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दूर करने के लिए 2011के दौरान एक नेटवर्क परियोजना NICRAकी शुरुआत की है।
  • भारतीय कृषि के लिए जलवायु परिवर्तन भेद्यता मूल्यांकन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा किया जाता है। ऐसा आकलन भारत के 573 ग्रामीण जिलों (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप के केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर) के लिए था।
  • भेद्यता विश्लेषण के आधार पर, 573 ग्रामीण जिलों में से 109 जिले (कुल जिलों का 19%) 'बहुत उच्च जोखिम'वाले जिले हैं, जबकि 201 जिले 'जोखिम वाले जिले'हैं।