वैश्विक तापन


प्रश्नः क्या विश्व आर्थिक फोरम ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक में बेहतर जलवायु जागरूकता/शिक्षा तथा वैश्विक तापन से निपटने के लिए लोगों में तत्काल कौशल की वृद्धि करने का आह्वान किया है_ यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

(रक्षा निखिल खाडसे द्वारा लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः विश्व आर्थिक फोरम ने अपनी 50वीं वार्षिक बैठक में ‘‘अधिक संधारणीय विश्व की ओर सार्वजनिक सम्मति का एक वैश्विक अध्ययन’ एक स्वतंत्र सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रकाशित की थी जो पुष्टि करती है कि विश्व को ऐसी नीतियों और कार्य नीतियों के कार्यान्वयन को शीघ्र प्रारंभ करने की आवश्यकता है जो सभी क्षेत्रें से जलवायु परिवर्तन पर मजबूत शिक्षा और नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए भविष्य के लिए जनसंख्या को पुनः कौशल प्रदान करने के द्वारा सामाजिक और पर्यावरणीय एजेंडा को तैयार कर सके।

  • सरकार पहले से ही समाज के विभिन्न क्षेत्रें में जलवायु परिवर्तन जागरूकता उत्पन्न करने हेतु विभिन्न स्कीम और कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है। यह भारत के जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के लिए एक महत्वपूर्ण संघटक निर्मित करती है, जिसके अंतर्गत ज्ञान अंतराल को दूर करने हेतु संस्थागत क्षमता बनाने हेतु सतत प्रयास किए जा रहे हैं, जो जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत की राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की प्रभाविता को बढ़ाने में योगदान देगा।
  • पेरिस करार के तहत प्रस्तुत भारत के राष्ट्रीय तौर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में भारत में अग्रणी जलवायु प्रौद्योगिकी के शीघ्र प्रसार के लिए क्षमता निर्माण, घरेलू फ्रेमवर्क की संरचना और अंतरराष्ट्रीय वास्तुकला संबंधी निर्धारित लक्ष्य और ऐसी भावी प्रौद्योगिकियों के लिए संयुक्त सहयोगी अनुसंधान और विकास निहित हैं। इस संबंध में, सरकार की अन्य मुख्य पहलों में राष्ट्रीय हरित कोर शामिल है, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन सहित पर्यावरणीय संरक्षण और सतत विकास की ओर कार्य कर रहे युवाओं का वर्ग निर्मित करना है।
  • इस पहल के एक भाग के रूप में देशभर में 100,000 ईको-क्लब कार्य कर रहे हैं, जो इसे सबसे बड़ा पर्यावरणीय नेटवर्क बनाते हैं जो बच्चों, युवाओं और आम जनता को जोड़ते हुए संगत मामलों पर कार्यकलाप सुनिश्चित करते हैं। सरकार ने स्कूल नर्सरी योजना भी शुरू की है ताकि स्कूलों में सृजित नर्सरियों में छात्रें को पौधे लगाने और उगाने में शामिल करते हुए प्रकृति के समीप लाया जाए। देशभर में पर्यावरण संरक्षण और सतत जीवनशैली में सुधार लाने हेतु एक सामाजिक आंदोलन ‘‘ग्रीन गुड डीड’ अभियान शुरू किया गया।
  • जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) सभी जलवायु संबंधी कार्यकलापों के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचा उपलब्ध कराती है। इसमें सौर ऊर्जा संवर्धित ऊर्जा दक्षता, संधारणीय पर्यावास, जल, हिमालयी पारि-प्रणाली, हरित भारत, सतत कृषि और जलवायु परिवर्तन के संबंध में कार्यनीतिक जानकारी जैसे विशिष्ट क्षेत्रें में आठ कोर मिशन शामिल हैं। तैंतीस राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रें ने एनएपीसीसी के लक्ष्यों के अनुरूप जलवायु परिवर्तन संबंधी राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी) भी तैयार कर ली है।
  • वर्ष 2018 में यूएनएफसीसीसी को प्रस्तुत भारत की द्वितीय द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (बीयूआर) के अनुसार वर्ष 2005 के स्तरों की तुलना में वर्ष 2014 में भारत की जीडीपी की उत्सर्जन क्षमता में 21% तक की कमी आई है। भारत की एनडीसी निष्पक्ष और महत्वाकांक्षी है। भारत अपने एनडीसी लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।