मानव-पशु संघर्ष


प्रश्नः क्या देश में मानव-पशु संघर्ष के कारण हाथी सहित अनेक पशुओं की मौत हो गई है; उत्तर-पूर्वी, दक्षिण और पश्चिमी हिस्से सहित पूरे देश में मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

(डॉ. किरीट प्रेमजीभाई सोलंकी एवं नव कुमार सरनीया द्वारा लोकसभा में पूछाया अतारांकित प्रश्न)

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः यह एक गंभीर विषय है। मानव-पशु संघर्ष के कारण प्रतिवर्ष लगभग 500 लोगों की मृत्यु हो जाती है। प्रत्येक वर्ष लगभग 100 हाथी मारे जाते हैं।

उत्तर-पूर्वी भारत, दक्षिणी और पश्चिमी भारत सहित देश में मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम निम्नानुसार हैं-

  1. मंत्रालय अपनी केंद्र प्रायोजित स्कीमों (सीएसएस) नामतः ‘बाघ परियोजना’, ‘हाथी परियोजना’ और ‘वन्यजीव पर्यावासों का विकास’ (डीडब्ल्यूएच) के माध्यम से राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए पर्यावास सुधार संबंधी विभिन्न कार्यकलापों नामशः प्राकृतिक जल निकायों की पुनर्स्थापना, कृत्रिम तालाबों और जल कुंडों का सृजन तथा संरक्षित क्षेत्र के अंदर विभिन्न स्थानों पर खाने/चारे के स्रोतों के संवर्द्धन हेतु निधियां प्रदान करता है।
  2. वन्य पशुओं और उनके पर्यावासों को संरक्षण प्रदान करने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के उपबंधों के अंतर्गत देशभर में महत्वपूर्ण वन्यजीव पर्यावासों को शामिल करते हुए सुरक्षित क्षेत्रों अर्थात राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों, संरक्षण रिजर्वों और समुदाय रिजर्वों का तंत्र सृजित किया गया है।
  3. कृषि क्षेत्रों में वन्य पशुओं के प्रवेश को रोकने के लिए कंटीली तार की बाड़, सौर ऊर्जा चालित विद्युत बाड़, कैक्टस से बनायी गयी जैव-बाड़, चार दीवारी आदि जैसे भौतिक अवरोधों के निर्माण/व्यवस्था के लिए मामला-दर-मामला आधार पर अनुमति दी जाती है।
  4. इस मंत्रालय ने वन्य पशुओं की चुनिंदा प्रजातियों की संख्या के प्रबंधन हेतु ‘गर्भ निरोधक प्रतिरक्षा उपाय’ करने हेतु एक परियोजना अनुमोदित की है।
  5. इस मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के मुख्य वन्यजीव वार्डनों को मानव-वन्यजीव संघर्ष के संदर्भ में 24 दिसंबर, 2014 और 1 जून, 2015 को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
  6. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मानवों के साथ संघर्ष को कम करने के लिए निम्नलिखित दो मानक प्रचालन क्रियाविधियां (एसओपी) जारी की हैं-
    • ‘‘मानव शासित भू-दृश्यों में बाघों के भटकने के कारण उत्पन्न हुए आपातकाल’’ से निपटने के लिए एसओपी।
    • ‘‘मवेशियों पर बाघ के हमले’’ से निपटने के लिए एसओपी।
  7. मीडिया के विभिन्न प्रकारों के माध्यम से सूचना के प्रसार सहित मानव-पशु संघर्ष के संबंध में आम जनता को संवेदनशील बनाने, उनका मार्ग-दर्शन करने और सलाह देने के लिए आवधिक जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।