हिमालय के हिमनदों पर प्रदूषण का प्रभाव


प्रश्नः क्या वैज्ञानिकों ने पाया है कि पीएम 0.5 कार्बन ब्लैक के 217 एनजी/एम 3 प्रदूषण का हिमालयी राज्यों में हिमनदों पर दुष्प्रभाव पड़ा है; इस प्रकार की स्थिति से निपटने तथा हिमालयी हिमनदों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं?

(अजय टम्टा द्वारा लोकसभा में पूछे गये तारांकित प्रश्न)

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा दिया गया उत्तरः ब्लैक कार्बन, जीवाश्म ईंधन, वनस्पतियों के जलने, औद्योगिक बहिःस्रावों, मोटर वाहनों और एयर क्राफ्ट निःशेषण जैसी दहन प्रक्रियाओं के गौण उत्पाद के रूप में वातावरण में उत्सर्जित होता है। विभिन्न संस्थानों द्वारा हिमालयी क्षेत्र के हिमनदों में ब्लैक कार्बन (बीसी) की निगरानी की गई है। जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण एवं विकास संस्थान द्वारा की गई निगरानी के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पार्वती हिमनद पर बीसी सांद्रण 0.34 mg/m3 - 0.56 mg/m3 की रेंज में है। पार्वती, हमटा और ब्यास कुंड हिमनदों के तराई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में बीसी सांद्रण 796 ng//m3, 416 ng/m3, 432 ng/m3 है। वाडिया हिमालयी भूविज्ञान संस्थान द्वारा गंगोत्री हिमनदों में की गई निगरानी के अनुसार बीसी सांद्रण 0.01 mg/m3 ls 4.62 mgm3 की रेंज में है।
  • केंद्रीय सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के राज्यों में पर्यावरण प्रदूषण को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ वेस्ट से एनर्जी उत्पादन करने के लिए संयंत्रों की स्थापना हेतु नवीन और नवीनीकरणीय ऊर्जा मंत्रलय द्वारा राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है। ब्यौरा निम्नवत हैः

क. बायोगैस के लिए प्रति 12,000 m3 बायोगैस/प्रतिदिन के लिए 1 करोड़ रुपए की पूंजीगत सहायता प्रदान की गई [प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक] है।
ख. विद्युत परियोजनाओं के तहत, 3.0 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट की सहायता दी गई [प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक]। यदि किसी मामले में विकासकर्ता पहले मौजूद बायोगैस उत्पादन इकाई पर विद्युत उत्पादन इकाई की स्थापना करना चाहता है, तब प्रयोज्य केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) केवल 2 करोड़ प्रति मेगावाट होगी।
ग. बायोगैस-सीएनजी/समृद्ध बायोगैस के लिए 12,000 m3 बायोगैस प्रतिदिन से, प्रतिदिन उत्सर्जित बायो-सीएनजी के 4.0 करोड़ - 4,800 किग्रा-/प्रतिदिन की सहायता [प्रति परियोजना अधिकतम 10 करोड़ रुपए तक] है।

  • इसके अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य सरकार ने पर्यावरणीय प्रदूषण को खत्म करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, प्लास्टिक और कूड़े-कचरे के जलाने पर प्रतिबंध लगाना, पृथक्कृत पुनर्चक्रण - योग्य (प्लास्टिक, रबर, कार्डबोर्ड, जूट की थैलियां आदि) सामग्री को सघन बनाने के लिए कम्पैक्टरों की स्थापना करना शामिल है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने गैर-जैब अवक्रमणीय अपशिष्ट के अवैज्ञानिक निपटान करने के कारण होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण को खत्म करने के लिए हिमाचल प्रदेश गैर - जैव अवक्रमणीय कूड़ा कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 अधिनियमित किया है और रोहतांग पास की ओर जाने वाले वाहनों की संख्या को एक दिन में 1,200 तक (डीजल से चलने वाले 800 वाहनों और पेट्रोल से चलने वाले 400 वाहनों) विनियमित किया गया है।