फ़ेक न्यूज के विरुद्ध कानून


प्रश्नः क्या सरकार को विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से चारों ओर फैलाई जा रही अफवाहों, भ्रामक सूचनाओं, फेक न्यूज एवं झूठी कहानियों से संबंधित घटनाओं की जानकारी है; यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है तथा सरकार की इस पर क्या प्रतिक्रिया है?

(उदय प्रताप सिंह द्वारा 10 मार्च 2021 को लोकसभा में पूछा गया अतारांकित प्रश्न)

इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे द्वारा दिया गया उत्तरः साइबर स्पेस इंटरनेट पर लोगों, साॅफ्टवेयर, हार्डवेयर और सेवाओं का जटिल वातावरण है। त्वरित संचार और गुमनामी की संभावना के साथ सीमा रहित साइबर स्पेस के साथ आपराधिक गतिविधियों के लिए साइबर स्पेस और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग की संभावना एक वैश्विक मुद्दा है। विश्व भर की सरकारें विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से चारों ओर फैलाई जा रही अफवाहों, भ्रामक सूचनाओं, फेक न्यूज और झूठी कहानियों की घटनाओं से निपटने के लिए जूझ रही है।

  • सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 में झूठी खबरों/गलत सूचना सहित आपत्तिजनक ऑनलाइन सूचना सामग्री को हटाने के प्रावधान हैं। अधिनियम की धारा 79 के तहत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी [मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code)] नियम, 2021 में यह अपेक्षित है कि माध्यम जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म शामिल है, अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय अपेक्षित सावधानी बरतेंगे और कम्प्यूटर संसाधन के प्रयोक्ताओं को किसी भी ऐसी सूचना सामग्री होस्ट, प्रदर्शित, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, प्रसारित, अद्यतन अथवा साझा न करने के लिए सूचित करेंगे जो किसी भी तरह से खतरनाक, आपत्तिजनक और गैर कानूनी हो। साथ ही, अधिनियम की धारा 79 में प्रावधान है कि उपयुक्त सरकार या उसकी एजेंसी या कोर्ट के आदेश द्वारा अधिसूचित किए जाने पर, मध्यस्थों को संविधान के अनुच्छेद 19(2) से संबंधित गैर-कानूनी सूचना सामग्री को निष्क्रिय करना/हटाया जाना अपेक्षित है।
  • इसके अलावा आईटी अधिनियम की धारा 69 क सरकार को निम्नलिखित के हित में किसी कंप्यूटर संसाधन में तैयार की गई, प्रसारित की गई, प्राप्त, भंडारित अथवा होस्ट की गई किसी भी ऐसी सूचना को ब्लॉक करने का अधिकार प्रदान करती है, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राष्ट्र की सुरक्षा, विदेशी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध अथवा सार्वजनिक व्यवस्था अथवा उपर्युक्त से संबंधित किसी भी संज्ञेय अपराध को करने के लिए भड़काने से रोकने से संबंधित है।
  • इसके अलावा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI), प्रेस काउंसिल एक्ट, 1978 के तहत स्थापित एक वैधानिक स्वायत्त निकाय है, जिसने मीडिया के अनुपालन के लिए ‘‘नॉर्म्स ऑफ जर्नलिस्टिक कंडक्ट’’ तैयार किया है। ये मानदंड सटीकता और निष्पक्षता, पूर्व प्रकाशन, सत्यापन, अनुमान के बीच अंतर, युक्ति, टिप्पणी और तथ्य संवेदनात्मक/उत्तेजनात्मक शीर्षकों से बचने और उनके तहत मुद्रित मामले के लिए औचित्य आदि के रूप में अन्य बातों के साथ मानदंडों पर जो देते हैं। मानदंडों के उल्लंघन के मामले में अधिनियम की धारा 14 के अनुसार जांच के बाद, पीसीआई समाचार पत्र, समाचार एजेंसी, संपादक या पत्रकार को परेशान कर सकता है, निंदा कर सकता है या रोक सकता है या जैसा भी मामला हो, संपादक या पत्रकारों के आचरण को अस्वीकार कर सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संबंध में केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और इसके तहत बनाए गए नियमावलियों में प्रावधान है कि ऐसा कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं किया जाएगा, जो किसी भी अश्लील, मानहानिकारक, जानबूझकर झूठी और व्योंगक्ति या आधे सत्य का सुझाव देने वाला हो। सरकार में एक अंतर-मंत्रालय समिति (Inter-Ministerial Committee - IMC) निजी टीवी चैनलों द्वारा कार्यक्रम कोड के उल्लंघन के बारे में विशिष्ट शिकायतों को देखती है और कार्यक्रम कोड के उल्लंघन के मामलों में उचित कार्रवाई की सिफारिश करती है।