प्रवाल भित्ति का संरक्षण


प्रश्नः देश में प्रवाल भित्ति की वर्तमान स्थिति क्या है; जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से प्रवाल भित्ति के संरक्षण हेतु चल रहे कार्यक्रमों का ब्यौरा क्या है?

(प्रतिमा मण्डल द्वारा लोकसभा में पूछे गये अतारांकित प्रश्न)

  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो द्वारा दिया गया उत्तरः भारत की तटीय रेखा लगभग 8,000 किमी- की है। प्रमुख प्रवाल भित्ति संघटन क्षेत्र चार हैं- (i) कच्छ की खाड़ी; (ii) मन्नार की खाड़ी; (iii) लक्षद्वीप और (iv) अंडमान-निकोबार द्वीप समूह। भारत में प्रवाल भित्ति का अनुमानित कुल क्षेत्र 2,375 वर्ग किमी. है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ) द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार उन्होंने (कच्छ की खाड़ी, लक्षद्वीप, मन्नार की खाड़ी, अंडमान और निकोबार) प्रमुख भारतीय प्रवाल भित्ति क्षेत्रों के लिए उपग्रह व्युत्पन्न ऐतिहासिक एसएसटी (समुद्री सतह तापमान) डाटा के साथ एक अध्ययन किया है और प्रत्येक क्षेत्रों के लिए भित्ति विरंजन घटनाओं के सहायक सबसे गर्म महीनों, ऊष्मीय अवसीमाओं सकारात्मक एसएसटी विसंगतियों को सिद्ध किया है।
  • आईएसआरओ ने ग्रीष्म महीनों के दौरान इन क्षेत्रों के लिए एक प्रवाल भित्ति विरंजन निगरानी और चेतावनी प्रणाली भी विकसित की है।
  • सरकार ने संवर्द्धनात्मक और विनियामक उपायों के माध्यमों से देश में प्रवाल भित्ति के संरक्षण और रख-रखाव हेतु कदम उठाए हैं। संवर्द्धनात्मक उपायों का कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय तटीय मिशन के तहत केन्द्रीय क्षेत्र की स्कीम के माध्यम से प्रवाल भित्ति के जीर्णोद्धार, निगरानी, संरक्षण और प्रबंधन हेतु चार स्थलों नामतः लक्षद्वीप, कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूहों में किया गया है।
  • विनियामक उपायों का कार्यान्वयन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986; वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972; भारतीय वन अधिनियम, 1927; जैव-विविधता अधिनियम, 2002 तथा समय-समय पर यथा संशोधित इन अधिनियमों के अंतर्गत नियमों के तहत तटीय विनियम क्षेत्र (सीआरजेड) अधिसूचना (2019) के माध्यम से किया जाता है।