रेशम उत्पादन


प्रश्नः विगत तीन वर्षों में प्रत्येक वर्ष देश में और विशेषकर तमिलनाडु में उत्पादित रेशम की राज्य-वार कुल मात्र कितनी है; क्या सरकार का रेशम उत्पादकों के संरक्षण के लिए कोकून का मूल्य स्थिरीकरण सुनिश्चित करने हेतु कदम उठाने का विचार है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?

(जी. सेल्वम द्वारा लोकसभा में पूछे गये तारांकित प्रश्न)

  • वस्त्र मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी द्वारा दिया गया उत्तरः पिछले तीन वर्षों के दौरान तमिलनाडु सहित देश में कच्ची रेशम का उत्पादन नीचे दिया गया है-


  • देश में पिछले कुछ वर्षों के दौरान रेशम के उत्पादन में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में उपलब्धियों में मामूली कमी आई है।
  • वस्त्र मंत्रलय भारत सरकार रेशम उत्पादन सहित देश में रेशम उत्पादन उद्योग के समग्र विकास के लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड के माध्यम से निम्नलिखित लाभार्थी उन्मुख योजनाएं क्रियान्वित कर रहा हैः

(i) सीएसबी देश में रेशम उद्योग के विकास के लिए एक पुनर्गठित केंद्रीय क्षेत्र की योजना ‘सिल्क समग्र’ क्रियान्वित कर रहा है, जो मुख्य रूप से स्वदेशी रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता पर केंद्रित है, जिससे आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम होगी।

(ii) पूर्वोत्तर क्षेत्र वस्त्र संवर्द्धन योजना (एनईआरटीपीएस) के अंतर्गत सभी पूर्वोत्तर राज्यों में 38 रेशम उत्पादन परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं।

  • रेशम का कोकून एक कृषि आधारित वस्तु होने के कारण जलवायु (वर्षा, सूखा आदि) कीट और बीमारी की घटनाएं (जो कोकून के उत्पादन और गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं), रेशमी उत्पादों की मांग, रेशम के अंतरराष्ट्रीय मूल्य आदि जैसे बहुत से कारक कोकून के मूल्यों को प्रभावित करते हैं। चूंकि कोकून और कच्ची रेशम का विपणन राज्य का विषय है, इसलिए कुछ राज्य कोकून के मूल्यों में उतार-चढ़ाव की स्थिति में किसानों को उनके कोकून की उपज के लिए मूल्य प्रोत्साहन (विनियमित कोकून बाजारों के माध्यम से) प्रदान करते हैं। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे परंपरागत रेशम उत्पादक राज्य किसानों और डीलरों के बीच खुली नीलामी की प्रक्रिया को अपनाते हैं। इन वस्तुओं का विपणन पूर्णतः राज्य द्वारा किया जाता है।